इस्लामाबाद। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की मौत की जांच करने वाले संयुक्त जांच दल (जेआईटी) का कहना है कि वह वर्ष 2007 में बेनजीर को पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ की धमकी भरी कॉल का पता नहीं लगा सका। आतंकवाद निरोधक अदालत, रावलपिंडी में मुशर्रफ के वकील बैरिस्टर फरोग नासिम द्वारा जिरह के दौरान जेआईटी प्रमुख मोहम्मद खालिद कुरैशी ने स्वीकार किया कि उनका दल बेनजीर के दो मोबाइल फोन से या मुशर्रफ के मोबाइल से कॉल का पता नहीं लगा सका।
हालांकि उन्होंने कहा कि संभावना है कि तत्कालीन राष्ट्रपति मुशर्रफ ने अपने किसी सरकारी फोन से यह कॉल किया हो। ‘डान न्यूज’ ने खबर दी कि संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक कुरैशी इस बहुचर्चित हत्याकांड में अभियोजन के अंतिम गवाह थे। अभियोजन का मामला उस धमकी भरे कॉल पर आधारित है जो मुशर्रफ ने बेनजीर को उस समय कथित रूप से किया था
जब वह अमेरिकी सांसद टॉम लंटस के कार्यालय में थीं। अभियोजन के अनुसार, अमेरिकी लॉबिस्ट मार्क सीगल ने दावा किया कि 25 सितंबर 2007 को वाशिंगटन में सांसद लंटस के कार्यालय में उनकी मौजूदगी में बेनजीर के पास एक टेलीफोन कॉल आया, जिसे उन्होंने बाद में मुशर्रफ की तरफ से ‘‘बहुत बुरा कॉल’’ करार दिया। बयान में कहा गया कि पूर्व सैन्य शासक ने बेनजीर को चेतावनी दी थी ‘‘उनकी सुरक्षा उनके (मुशर्रफ और बेनजीर) संबंधों की स्थिति पर निर्भर करती है।