वाशिंगटन। वायु प्रदूषण के कारण हर साल दुनिया भर में 55 लाख लोग मारे जाते हैं। इनमें से आधी से ज्यादा मौतें दुनिया में सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों चीन एवं भारत में होती हैं। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। अमेरिका, कनाडा, चीन और भारत के वैज्ञानिकों ने यहां अमेरिकन एसोसियेशन फार दि एडवांसमेंट ऑफ साइंस (एएएएस) में अपना अध्ययन पेश किया जिसमें कहा गया है कि वायु प्रदूषण जनित बीमारियों के कारण 2013 में चीन में 16 लाख जबकि भारत में 14 लाख लोगों की मौत हुई।
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के शोधकर्ता माइकल ब्राउर ने कहा वायु प्रदूषण दुनिया भर में मौत का चौथा सबसे बड़ा खतरनाक कारक है और इस समय बीमारियों को पर्यावरण संबंधी सबसे बड़ा खतरा है। केवल उच्च रक्तचाप, खराब खान पान और धूम्रपान के कारण वायु प्रदूषण की तुलना में ज्यादा मौतें होती हैं। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में अध्ययन की जानकारी देते हुए कहा दुनिया की 85 प्रतिशत से ज्यादा आबादी उन इलाकों में रहती है
जहां वायु प्रदूषण के विश्व स्वास्थ्य संगठन के ‘सुरक्षित स्तर’ से ज्यादा वायु प्रदूषण है। अध्ययन में 1990 से 2013 के बीच 188 देशों में स्वास्थ्य और वायु प्रदूषण जैसे खतरनाक कारकों का विश्लेषण किया गया। इसमें कहा गया कि दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन और भारत में वायु सबसे ज्यादा दूषित है। चीन में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कोयला जलने से उत्सर्जित होने वाले कण हैं। इसके कारण वहां हर साल 3,60,000 मौतें होती हैं।