जेनेवा। संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को भारत के नागरिकता संशोधन कानून को भेदभावपूर्ण प्रकृति वाला बताया। भारतीय संसद में गुरुवार को पारित हुए इस विधेयक में अफगानिस्तान, बंगलादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इसमें मुसलमानों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के प्रवक्ता जेरेमी लॉरेंस ने आज कहा, ‘‘हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि भारत का नया नागरिकता संशोधन कानून 2019 मूल रूप से भेदभावपूर्ण प्रकृति वाला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें पता है कि भारत का उच्चतम न्यायालय इस नये कानून की समीक्षा करेगा और उम्मीद है कि भारत के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के साथ नये कानून की अनुकूलता पर ध्यानपूर्वक विचार किया जाएगा।’’ संरा मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने सीएबी को लेकर असम और त्रिपुरा शुरू हुए संघर्ष को लेकर भी चिंता जतायी है।