बैंकॉक। बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार संबंधी प्रस्तावित समझौते क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) का तीसरा शिखर सम्मेलन सोमवार को यहां शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन, जापान तथा न्यूजीलैंड सहित लगभग 15 देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड और दस आसियान देश पिछले कई वर्षों से आरसीईपी समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनंिपग के बीच जारी विवाद के कारण वैश्विक व्यापार को लेकर उत्पन्न तनाव की पृष्ठभूमि में बैंकॉक में सोमवार को आरसीईपी पर विचार-विमर्श का विशेष महत्व हो गया है।
गौरतलब है कि 16-सदस्यों वाले आरसीईपी में विश्व का सबसे बड़ा आर्थिक क्षेत्र बनने की क्षमता है। इन 16 देशों में 3.6 अरब लोग रहते हैं। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2017 के दौरान आरसीईपी देशों में विश्व की कुल जनसंख्या की 47.6 प्रतिशत आबादी शामिल थी जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 31.6 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार में 30.8 प्रतिशत योगदान रखती है। इस बीच भारत में विपक्षी दलों ने इस समझौते का विरोध किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को बैंकॉक पहुंचने पर ‘बैंकॉक पोस्ट’ के साथ साक्षात्कार में कहा था कि यह स्पष्ट है कि ऐसा आरसीईपी समझौता ही भारत के हित में है जिससे सभी पक्षों को लाभ हो।