लाहौर। लाहौर उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो अध्यक्ष न्यायाधीश जावेद इकबाल के अभिभावकों की हत्या के मामले में फांसी की सजा पाये तीनों दोषियों को सोमवार को बरी कर दिया। वर्ष 2011 में न्यायाधीश जावेदन के अभिभावक घर में मृत पाये गए थे। पुलिस ने कहा था कि नवीद इकबाल जो नैब अध्यक्ष का सौतेला भाई था पैसे के लेन-देन के मामले में दोनों की हत्या की थी। पुलिस ने बताया था कि हत्या करने में नवीद की अब्बास शकीर और अमीन अली ने मदद की थी।
निचली अदालत ने हत्या के इस मामले में 2016 में दिए अपने फैसले में तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके अलावा प्रत्येक पर साढ़े पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना किया था। न्यायमूर्ति जावेद उस समय उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश थे। लाहौर उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आज दिए फैसले में तीनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने का हवाला देते हुए निचली अदालत के फैसले को पलट दिया। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील में हत्या के आरोपियों ने कहा था कि पुलिस ने उन्हें संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया। उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं और पुलिस न्यायालय के समक्ष पर्याप्त सबूत पेश करने में नाकाम रही। उन्होंने अपनी याचिका में निचली अदालत के फैसले को पलटकर पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी करने की अपील की थी।