नई दिल्ली। चीन कैलास मानसरोवर के निकट एक हवाई अड्डा विकसित कर रहा है जिसके बन जाने के बाद श्रद्धालुओं को बिना किसी तकलीफ, कम खर्च में इस तीर्थ की यात्रा की सुविधा मिल सकेगी। चीन के तिब्बत स्वायत्तशासी प्रक्षेत्र शिजांग के अली प्रीफैक्चर में कुन शा शियांग में एक पुराने हवाई अड्डे का विस्तार का काम लगभग पूरा हो गया है। इसे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के हिसाब से तैयार किया गया है और वहां पर चार्टर्ड विमान के संचालन के लिए भी सुविधा होगी। हाल ही में भारत के दौरे पर आये चीन सरकार एवं प्रांतीय प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार इस मार्ग से नेपाल और भारत के कुछ स्थानों के लिए यात्रा के समय उड़ानें परिचालित की जा सकेंगी। हालांकि अभी उनके मार्ग और औपचारिकताओं के बारे में विचार-विमर्श जारी है।
अभी तक हवाई मार्ग से जाने के लिए यात्रियों को नेपाल में काठमांडू होकर तिब्बत की राजधानी ल्हासा पहुंचना होता है और वहां से करीब डेढ़ हजार किलोमीटर का रास्ता सड़क मार्ग से तय करना होता है जिसमें तीन दिन लग जाते हैं। कुन शा शियांग कैलास के आधार शिविर दारचेन से करीब 180 किलोमीटर और मानसरोवर झील से लगभग दो सौ किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में तिब्बत के राजमार्ग संख्या जी 219 पर स्थित है। कुन शा हवाई अड्डे के बाहर एक नये शहर का विकास किया गया है जहां यात्रियों को जलवायु अनुकूलता के लिए ठहरने के वास्ते होटल, रेस्टोरेंट आदि सुविधाएं सुलभ करायीं जाएंगी।
यहां भारतीय भोजन कुन शा शियांग से यात्री मिनी बसों या एसयूवी के माध्यम से कैलास मानसरोवर पहुंच सकेंगे। कैलास के आधार शिविर दारचेन तथा परिक्रमा मार्ग में कैलास के उत्तर मुख की ओर डेरापुक और पूर्व में में भी यात्री सुविधाओं का विकास किया गया है। बैंक, दुकानें, रेस्टोरेंट होटल, फुट मसाज आदि सुविधायें दी गयीं हैं। पर शौचालय की सुविधायें पूरी तरह से ठीक नहीं हो पायीं हैं। चीनी अधिकारियों को कहना है कि सुविधायें धीरे-धीरे ही बढ़ायी जा सकतीं हैं क्योंकि इस क्षेत्र में आक्सीजन की कमी है और वर्ष में मई से सितंबर तक करीब चार-पांच माह ही काम करना संभव होता है।
काम के लिए लोगों की उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती है। चीनी अधिकारियों का कहना है कि वे मानसरोवर झील सहित इस समूचे क्षेत्र के पर्यावरण एवं पारिस्थिकीय संतुलन के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसलिए झील में नहाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों एवं हिन्दू संगठनों से झील में स्रान की अनुमति देने का दबाव है लेकिन कैलास पर्वत और मानसरोवर झील बेहद नाजुक पर्यावरणीय क्षेत्र में स्थित है। इसलिए इस पवित्र झील की रक्षा के लिए चीन सरकार को हर हाल में पर्यावरणीय मानकों को बनाये रखना होगा। उन्होंने कहा कि यह चीन के साथ भारत एवं नेपाल की भी साझी विरासत है। यात्रियों के लिए भी इस विरासत को बचाने की चुनौती है। इसके लिए स्थानीय सरकार के नियमों का अनुपालन जरूरी है।