एथेंस। ग्रीस में बेलआउट पैकेज को जोरदार तरीके से ठुकराए जाने पर रात भर जश्न मनाया जाता रहा, लेकिन इस जश्न से आगे का रास्ता खासा मुश्किल नजर आता है।
हालांकि प्रधानमंत्री एलेक्सिस त्सिप्रास जैसा चाहते थे, वैसा ही हुआ। ग्रीस की जनता ने 60 प्रतिशत से ज्यादा वोटों से बेलआउट पैकेज को खारिज कर दिया है।
यूरोपीय नेताओं ने जनमत संग्रह से पहले बार-बार ग्रीस के लोगों को चेतावनी दी थी कि अगर उनका फैसला न रहा, तो ग्रीस को यूरोजोन से बाहर जाना पड़ सकता है,
लेकिन इस चेतावनी की ज्यादा परवाह न तो ग्रीस की जनता ने की और न ही वहां की सरकार ने।
मुश्किल डगर...
यूरोजोन से बाहर जाने का मतलब है यूरोपीय संघ से मिलने वाली बड़ी मदद का रास्ता बंद होना, जिसके बिना ग्रीस के लिए फिलहाल काम चलाना मुश्किल होगा।
इसलिए ग्रीस को यूरोजोन के साथ जल्द से जल्द सहायता के लिए समझौता करना होगा। जनमत संग्रह के बाद ग्रीस की सरकार बेलआउट पैकेज की शर्तें नरम कराने के लिहाज से बेहतर स्थिति में हो सकती है। हालांकि यूरोपीय संघ और खास तौर से जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों के सख़्त रुख को देखते हुए बातचीत फिर से शुरू करना आसान नहीं होगी।
ग्रीस के वित्त मंत्री भी यूरोजोन की रणनीति को आतंकवाद जैसा बता चुके हैं।
बेलआउट पैकेज में आर्थिक अनुशासन के लिए कई कड़ी शर्तें जुड़ी हैं, जिनमें कर बढ़ाने और सामाजिक योजनाओं पर खर्चों में कटौती की मांग की गई है।
ग्रीस के प्रधानमंत्री इन शर्तों को अपमानजनक मानते हैं, इसीलिए उन्होंने जनता से बेलआउट पैकेज को खारिज करने की अपील की थी। जनमत संग्रह पर फैसला भले ही सरकार की योजना के मुताबिक रहा हो, लेकिन ग्रीस में अब भी एक बड़ा तबका है जो इस पूरे घटनाक्रम से खुश नहीं है।
नगदी की कमी...
ग्रीस के बैकों में नगदी की कमी हो रही है और यूरोपीय केंद्रीय बैंक से उन्हें आपात रकम मिलना बेहद जरूरी है। आर्थिक किल्लत का ये आलम है कि कई बैंकों ने एटीएम मशीनों से एक दिन में निकाले जाने वाली अधिकतम राशि को सिर्फ 60 यूरो तक सीमित कर दिया है। बैंक संकट और अस्थिरता के कारण टैक्स जुटाने में आई कमी के चलते ग्रीस की अर्थव्यवस्था फिर से कमजोर हो गई है।