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रोहिंग्या मुद्दे पर म्यांमार की भूमिका पर मून ने जतायी चिंता

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 11 2019 10:58AM | Updated Date: Jul 11 2019 10:59AM
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ढाका। रोहिंग्या संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून ने मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है और जबरन विस्थापित किये गये रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने पर अनिच्छा व्यक्त करने के लिए म्यांमार सरकार के खिलाफ कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। मून ने मार्शल द्वीप के राष्ट्रपति डा. हिल्डा हेइन तथा विश्व बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. क्रिस्टेलाइन जॉर्जीवा ने कॉक्स बाजार में कुतुपलांग स्थित रोहिंग्या शरणार्थियों के राहत शिविर के दौरे के बाद बुधवार को संवाददाताओं से कहा,‘‘यह अंतत: बंगलादेश के लिए एक असहनीय संकट होगा।’’
 
उन्होंने कहा,‘‘यह बंगलादेश के लिए संभव नहीं है कि वह इतनी बड़ी संख्या में रोहिंग्या को लंबे समय तक रख सके।’’  दक्षिण कोरिया के पूर्व राजनयिक एवं वर्ष 2007 से 2016 तक लगातार दो बार संयुक्त राष्ट्र के महासचिव रहे मून ने कहा कि रोहिंग्या बंगलादेश जैसे देश के लिए बहुत बड़ा ‘बोझ’ बनकर सामने आये हैं। उन्होंने कहा,‘‘म्यांमार सरकार को और अधिक प्रयास करना चाहिए ताकि रोहिंग्या बिना किसी डर और उत्पीड़न के अपने देश लौट सकें।’’
 
उन्होंने कहा कि तीन हाई-प्रोफाइल गणमान्य व्यक्तियों ने कॉक्स बाजार में कुतुपलांग रोहिंग्या शिविर का दौरा किया। हालांकि, उन्होंने आंतरिक संसाधनों की कमी के बावजूद मानवीय आधार पर 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को शरण देने के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना और बंगलादेशी लोगों की सराहना की।
 
मून ने म्यांमार के नागरिकों की गरिमापूर्ण और निडर वापसी के जरिये रोहिंग्या संकट के लिए सैहार्दपूर्ण समाधान की मांग की और संयुक्त राष्ट्र के संगठनों को रोहिंग्या शरणार्थयों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया। बंगलादेश के विदेश मंत्री डॉ ए के अब्दुल मोमन और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री एम शहाब उद्दीन विदेशी हस्तियों के साथ थे।
 
सर्वश्री हेइन, मून और जॉर्जीवा ने इन कमजोर विस्थापित म्यांमार के नागरिकों के प्रति उनकी एकजुटता के प्रतीक के रूप में रोहिंग्या शिविरों के परिसर में अलग-अलग पौधे लगाए। बंगलादेश के कॉक्स बाजार जिले में रोहिंग्या विस्थापितों की 10 लाख से अधिक की आबादी को आश्रय मिला हुआ है। इनमें से ज्यादातर म्यांमार सेना की ओर से 25 अगस्त, 2017 को रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ चलाये गये अभियान के बाद यहां पहुंचे हैं।
 
 
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