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सतत विकास लक्ष्यों पर जलवायु परिवर्तन का खतरा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 11 2019 12:39AM | Updated Date: Jul 11 2019 12:39AM
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न्यूयॉर्क। जलवायु परिवर्तन के कारण सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में वैश्विक प्रगति संतोषजनक नहीं रही है और इसके कारण भूखे पेट सोने वालों का आँकड़ा 2018 में बढ़ गया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा यहाँ मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन और देशों के बीच तथा देशों के भीतर असमानता से न सिर्फ इन लक्ष्यों की तरफ बढ़ने में बाधा आ रही है, बल्कि जिन लक्ष्यों में प्रगति हुई भी है उनमें से कुछ में पीछे की ओर खिसकने का क्रम शुरू हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दारिर्द्य घटाने, टीकाकरण, बाल मृत्यु दर कम करने और बिजली की उपलब्धता बढ़ाने जैसे कुछ क्षेत्रों में प्रगति हुई है, लेकिन प्रगति अपेक्षानुरूप नहीं हुई है। इससे हासिये पर मौजूद लोग तथा देश सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। दुनिया के तीन-चौथाई कुपोषित बच्चे दक्षिण एशिया और अफ्रीका के उपसहारा क्षेत्र में रहते हैं। शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में दारिर्द्य तीन गुणा अधिक है। व्यस्कों की तुलना में युवाओं के बेरोजगार रहने की आशंका अधिक है। सिर्फ एक-चौथाई दिव्यांगों को दिव्यांग पेंशन मिलता है और महिलाओं तथा लड़कियों को समानता के रास्ते में अब भी बाधाएँ हैं। 
 
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि 2018 अब तक का चौथा सबसे गर्म साल रहा है। वायुमंडल में कार्बन डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। समुद्र की अम्लीयता 26 प्रतिशत है और यदि कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन का स्तर स्थिर भी रहता है तो वर्ष 2100 तक इसमें 100 से 150 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनिओ गुतरेस ने कहा ‘‘प्राकृतिक पर्यावरण चिंताजनक रूप से खराब हो रहा है। समुद्र का स्तर बढ़ रहा है। समुद्र की अम्लीयता बढ़ रही है। पिछले चार साल अब तक के सबसे गर्म चार वर्ष रहे हैं। दस लाख पौधों और जीवों की प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं तथा भूमि की गुणवत्ता खराब होने का सिलसिला अनियंत्रित है।
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