काहिरा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी की अदालत में सुनवाई के दौरान हुई मौत की घटना की शीघ्र और गहन जांच कराने को कहा है। सरकारी टेलीविजन कंपनी फ्रांस 24 ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार मामलों के उच्चायुक्त के प्रवक्ता रूपर्ट कोल्विले के हवाले से मंगलवार को कहा,‘‘हिरासत में किसी भी आकस्मिक मृत्यु के बाद एक स्वतंत्र निकाय की ओर से मौत के कारण को स्पष्ट करने के लिए तत्काल, निष्पक्ष और पूरी तरह से पारदर्शी जांच होनी चाहिए।’’
कोल्विले ने मुर्सी की मौत के ठीक एक दिन बाद कहा, मोरसी की हिरासत की शर्तों के बारे में चिंताएं व्यक्त की गई हैं, जिसमें पर्याप्त चिकित्सा देखभाल तक पहुंच शामिल है। साथ ही साथ लगभग छह साल की हिरासत के दौरान अपने वकीलों और परिजनों तक पहुंच को लेकर भी चिंता व्यक्त की गयी हैं।’’ गौरतलब है कि श्री मुर्सी की सोमवार को अदालत में सुनवायी के दौरान गिर कर मौत हो गयी। सेना ने वर्ष 2013 में तख्तापलट करके उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था।
उन पर जासूसी के आरोप थे। बीबीसी के अनुसार न्यायालय की कार्यवाही के दौरान वह बेहोश हो गये और उनकी मौत हो गयी। वह 67 वर्ष के थे और उन पर जासूसी के आरोप में मुकदमा चल रहा था। मुर्सी को लोहे के एक पिंजरे में अदालत लाया गया था और अदालत में अपना पक्ष रखने के बाद वह बेहोश हो गये। मिस्र के सरकारी वकील का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट में उनके शरीर पर किसी भी तरह के चोट के निशान नहीं पाये गये हैं।
मुर्सी के पदभार संभालने के एक साल बाद उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया था और इसके बाद प्रशासन ने उनके और मुस्लिम ब्रदरहुड समर्थकों के खिलाफ शिंकजा कसना शुरू किया था। श्री मुर्सी पर फलस्तीनी संगठन हमास के साथ संदिग्ध संपर्कों और जासूसी के आरोप में राजधानी की अदालत में सुनवायी चल रही थी। जेल में उनकी हालत को लेकर काफी समय से चिंता जताई जा रही थी।
पिछले वर्ष अक्टूबर में उनके सबसे छोटे बेटे अब्दुल्ला ने कहा था कि जेल अधिकारी उनके पिता को लगातार एकान्त में रख रहे हैं और उच्च रक्तचाप तथा मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियां होने के बावजूद उन्हें उपचार मुहैया नहीं कराया गया है। अब्दुल्ला ने पांच महीने पहले कहा था कि मिस्र के अधिकारी कुछ इस तरह के प्रयास कर रहे हैं ताकि उनकी मौत जल्द से जल्द हो जाए और यह प्राकृतिक कारणों से हुई मौत दिखे।