ढाका। बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को दस लाख से अधिक रोहिग्या नागरिकों के स्वदेश लौटने को लेकर म्यांमार की ओर से किये गये वादे से मुकरने का आरोप लगाया और आशंका जताई कि कुछ अंतर्राष्ट्रीय सहायता एजेंसियां संकट को बनाये रखने के लिए इसका इस्तेमाल करेगी। हसीना ने आधिकारिक आवास गणभवन में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि समस्या म्यांमार के साथ है क्योंकि वह नहीं चाहता है कि रोहिग्या किसी भी तरह से वापस लौटे। उन्होंने कहा कि म्यांमार ने बंगलादेश के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिसमें उन्हें वापस लेने का वादा किया है। प्रधानमंत्री ने आशंका जतायी कि कुछ अंतर्राष्ट्रीय सहायता एवं स्वैच्छिक एजेंसियां है जो इस संकट को हल करने के लिए तैयार नहीं है, वे चाहती हैं कि शरणार्थी कभी स्वदेश न लौटे।
हसीना जापान, सऊदी अरब और फिनलैंड के अपने त्रि-राष्ट्र दौरे से लौटने के एक दिन बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह वही है जो मैं देख रही हूं। इस धारणा के बारे में टिप्पणियों के लिए कहा गया कि तीन प्रमुख देशों - चीन, जापान और भारत - ने इस संकट पर म्यांमार का पक्ष लिया तो उन्होंने ने कहा कि बंगलादेश ने इन देशों के साथ अलग-अलग बातचीत की और सभी देशों ने रोहिग्याओं के म्यांमार के नागरिक होने की बात स्वीकार की और वहां वापस लौटने पर सहमति व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि हालांकि तीन देशों ने तर्क दिया कि यदि वे सभी म्यांमार का विरोध करेंगे तो उसे मनाने वाला कौन बचेगा। यह पूछे जाने पर कि चीन के सक्रिय समर्थन प्राप्त करने के लिए जापान के बाद चीन जाने की योजना बनाई है तो उन्होंने ने सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि इस साल जुलाई में चीन के राष्ट्रपति शी जिनंपिग के आमंत्रण पर शिखर सम्मेलन में शामिल होने की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आमंत्रण मिलने पर वह भारत का भी दौरा करेंगी। साथ ही यह भी कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दोबारा चुने जाने पर उन्हें बधाई दी थी।