इस्लामाबाद। इमरान खान मंत्रिमंडल में प्रस्तावित आम माफी योजना को लेकर मतभेद हैं और इस वजह से यह प्रस्तावित योजना टल गई है। कई मंत्रियों ने आम माफी योजना से इत्तेफाक नहीं रखते हुए तर्क दिए कि अधिकारियों के समक्ष यह राजनीति और संवैधानिक चुनौतियां पेश कर सकती है। इस कारण मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में प्रस्तावित योजना पर एक राय नहीं बन पाई और यह टल गई।
बैठक में कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री इमरान खान को इस बात से अवगत कराया कि यह प्रस्तावित योजना राजनीतिक रूप से उचित नहीं है और इसे अदालतों में भी चुनौती दी जा सकती है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार सरकारी सूत्रों का कहना है कि मुख्य आपत्ति कानून एवं न्याय मंत्री बैरिस्टर फारोघ नसीम की थी। उनका कहना था कि आम माफी का प्रारूप संविधान के अनुच्छेद-35 का उल्लंघन है। मजेदार तथ्य यह है कि परिसंपत्ति का एलान योजना के प्रारूप की जांच कानून और न्याय मंत्रालय ने की है।
संचार मंत्री मुराद सईद ने कहा कि सरकार की प्रस्तावित योजना अमीरों को ध्यान में रखकर बनाई गयी है। संचार और जल संसाधन मंत्री ने कहा कि यह योजना पाकिस्तान-ए-इंसाफ के उन मूल मूल्यों के खिलाफ है जिसमें चोरों और डकैतों पर शिकंजा कसना है। सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने मंत्रिमंडल की मंजूरी की जानकारी देते हुए मीडिया से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रस्तावित परिसंपत्ति घोषणा योजना पर और चर्चा के लिए कैबिनेट की एक समिति गठित की है।’चौधरी ने कहा,‘‘माफी योजना की स्वीकृति प्रक्रिया को कुछ समय के लिए निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि पहले योजना थी कि इसे 24 घंटे के भीतर अमल में लाया जाये।
सूचना मंत्री ने बताया कि कुछ सदस्यों की आपत्तियों के बाद मंत्रिमंडल इस योजना पर एक-एक धारा पर विचार करना चाहता था,लेकिन सदस्य योजना पर पर्याप्त चर्चा के लिए सक्षम नहीं थे। नई गठित समिति की आज बैठक हो गयी और योजना के संबंध में ऐलान करने से पहले सरकार कुछ समय और लेगी।