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भारत-चीन के लोगों का जीवन सुधरा तो दुनिया बेहतर होगी : चीनी राजदूत

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 10 2019 4:27PM | Updated Date: Apr 10 2019 4:27PM
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नई दिल्ली। भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई ने दोनों देशों की जनता की विकास की आकांक्षाओं एवं चुनौतियों को  एक समान बताते हुए कहा है कि भारत एवं चीन के लोगों का जीवन स्तर उठ पाया तो पूरे विश्व में जीवन स्तर सुधरेगा। लुओ झाओहुई ने यहां चीनी दूतावास में अपनी सरकारी पत्रिका ‘न्यूज फ्रॉम चाइना’ के भारत चीन संबंधों पर आधारित एक विशेष अंक के विमोचन के अवसर पर दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंधों एवं संपर्कों को बढ़ाने पर जोर दिया।

इस मौके पर भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रो. लोकेश चंद्र, भारतीय उद्योग परिसंघ में भारत चीन मैत्री समिति के प्रमुख पूर्व सांसद तरुण विजय, पूर्व राजनयिक अमरेन्द्र खटुआ और पत्रकार मनीष चंद मौजूद थे। पत्रिका के आमुख में राजदूत ने लिखा कि चीन के लोग ‘चीनी स्वप्न’का साकार करने के लक्ष्य के लिए एक उदारवादी समृद्ध समाज (शिआओकांग) के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हो कर काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि चीनी स्वप्न और नये भारत का स्वप्न एक दूसरे में गुँथे हुए हैं और उन्हें साकार करने के लिए दोनों देशों को मिलकर साझेदारी के साथ काम करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि जब भारत एवं चीन की जनता बेहतर जीवन जिएगी तो विश्व की सूरत भी बेहतर हो जाएगी। समारोह में अपने संबोधन में राजदूत ने कहा कि इस पत्रिका के माध्यम से भारत में चीन को लेकर समझ बढ़ाने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह पत्रिका एक विजÞन है और दोनों देशों के बीच मैत्री एवं सहयोग के सेतु के रूप में काम कर रही है। उन्होंने इस पत्रिका के देश भर में प्रसार को बढ़ाने एवं लोगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अनेक सुझाव दिये। उन्होंने पाठकों के लिए प्रतियोगिताएं शुरू करने एवं विजेताओं को चीन की सैर पुरस्कार के रूप में देने का सुझाव दिया।

उन्होंने चीन की यात्रा को लेकर पाठकों के संस्मरण छापने का भी सुझाव रखा। भारत के आम लोगों के बीच चीन के नजÞदीक लाने में पत्र पत्रिकाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए लुओ झाओहुई ने कहा कि इस पत्रिका का हिन्दी संस्करण भी छापा जाना चाहिए। प्रो. लोकेश चंद्र ने कहा कि भारत एवं चीन की 2000 साल की मित्रता को अगले तीन हजार साल आगे लेकर जाना है। तरुण विजय ने भारत एवं चीन के रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए अकादमिक एवं मीडिया के क्षेत्र में संपर्क बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत एवं चीन को एक दूसरे को अपनी अपनी विवेक दृष्टि से देखना चाहिए, ना कि पश्चिमी समाचार एजेंसियों की दृष्टि से।

उन्होंने इस पत्रिका में कैलास मानसरोवर यात्रा, चीन में विद्यार्थियों के लिए शिक्षा सुविधाओं एवं छात्रवृत्तियों, व्यापारिक नीतियों एवं बाजार पर नियमित लेखन किये जाने पर बल दिया। वरिष्ठ पत्रकार मनीष चंद ने कहा कि दोनों देशों की 2.7 अरब आबादी है और दोनों देशों में गरीबी को मिटाने एवं समृद्ध समाज बनाने के प्रयास हो रहे हैं। दोनों देशों के बीच परस्पर सहयोग बढ़ाने के लिए सटीक सूचनाओं का आदान प्रदान बेहद जरूरी है। इस पत्रिका में चीन की सरकार के आधिकारिक दृष्टिकोण का पता चलता है।

लेकिन अब दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, शैक्षणिक, पर्यटन आदि जनोन्मुखी विषयों पर खासतौर से जोर दिये जाने की जरूरत है। कार्यक्रम में मीडिया, व्यापार एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के अलावा चीनी अध्ययन करने वाले विद्यार्थी और विभिन्न देशों के राजनयिक भी मौजूद थे। कुछ छात्राओं ने भारत एवं चीन में छात्रों के आदान प्रदान और एक दूसरे के देश में घरों में रहने का मौका देने का भी सुझाव दिया जिससे एक दूसरे के समाज के प्रति समझ बढ़ेगी।

 

 

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