कोयंबटूर। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि भारत अध्यात्म और आस्था की भूमि है और संभवत: किसी अन्य देश में भारत के जितने विविध त्योहार नहीं मनाये जाते। कोविंद ने यहां ईशा योग सेंटर के 25वें महाशिवरात्रि समारोह में हिस्सा लेने के बाद कहा कि अध्यात्म और आस्था से भारत को ताकत मिलती है और अंदरूनी समाधान प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे त्योहारों में महाशिवरात्रि सर्वाधिक चिरस्थायी, लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के इस त्योहार को मनाते हैं और इस दिन आत्म मंथन करते है तथा भगवान शिव के गुणों का मनन करते हैं।
’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारा देश अध्यात्म और आस्था की भूमि है। संभवत: किसी अन्य देश में भारत के जितने विविध त्योहार नहीं मनाये जाते।’’ उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने संसार को बचाने के लिए समुद्र मंथन से निकले विष का पान किया। विष का पान करने से उनका गला नीला पड़ गया इसीलिए उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है। इसी तरह उनके भक्त दुनिया में मौजूद दुख, पीड़ा, कष्ट और नकारात्मकता रूपी विष का पान करते हैं। भगवान नीलकंठ का संदेश है कि योग्य जीवन वही है जो दूसरों की सेवा के लिए हो। राष्ट्रपति ने कहा कि उनके इस संदेश का पालन करते हुए हमें मानवता की हरसंभव सेवा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में सतगुरू और इनकी ईशा फाउंडेशन सराहनीय योगदान दे रही है। संस्था ने मानव कल्याण के लिए कई बड़े कदम उठाये हैं। कोविंद ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि आज यहां इस कार्यक्रम में इतनी बड़ी संख्या में युवा लोग शामिल हुए हैं। कम आयु में योग को लेकर इतनी जागरुकता और ग्रहणशीलता देखकर खुशी होती है। मैं आपको इस बात के लिए बधाई देता हूं कि आपने अपने जीवन के शुरूआत में ही अपने कल्याण के लिए इतना समय दे रहे हैं। मैं इस बात को लेकर भी आश्वस्त हूं कि देश के युवा न केवल भारत बल्कि मानवता के भविष्य को भी आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।’’