इस्लामाबाद। पुलवामा हमले के बाद चौतरफा घेराबंदी से घबराये पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के बाद आज सेना ने जबानी मोर्चा संभालते हुए कहा कि भारत ने बिना सोचे समझे उसके देश पर आरोप लगा दिया जबकि इसका कोई सबूत नहीं है। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह सोचने की बात है कि पुलवामा हमले से पाकिस्तान को क्या फायदा होगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर में समय-समय पर होने वाले इस तरह के हमलों का विश्लेषण किया जाए तो एक विशेष ‘पैटर्न’ का पता चलता है। संसद पर हमले से लेकर, मुंबई, पठानकोट, उरी और अब पुलवामा आतंकवादी हमले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जब ये हुए भारत में आम चुनाव का माहौल रहा है जबकि उस दौरान पाकिस्तान में या उसके संबंध में दुनिया में कुछ न कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहा है।
उन्होंने कहा कि जब भी पाकिस्तान में स्थिरता कायम होती है और वह दहशतगर्दी के खिलाफ मजबूत कदम उठाकर तरक्की की दिशा में बढता है तो इस तरह की घटनाएं हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि गत 14 फरवरी को जब पुलवामा हमला हुआ उस समय पाकिस्तान में और उसके संबंध में बाहर 8 महत्वपूर्ण घटनाक्रम चल रहे थे। इनमें सऊदी अरब के शाहजादा की पाकिस्तान यात्रा, संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद को लेकर एक प्रस्ताव, कुलभूषण जाधव के मामले की सुनवाई, यूरोपीय संघ में आतंकवाद पर प्रस्ताव, करतारपुर साहेब मामले में सीमा संबंधी बातचीत और पाकिस्तान में सुपर लीग के मैच जैसी घटनाएं शामिल हैं। उन्होंने सवाल किया कि ऐसे माहौल में पाकिस्तान इस तरह के हमले का समर्थन कैसे कर सकता है। उसे इससे क्या फायदा होगा।
मेजर जनरल ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री इमरान खान पहले ही भारत को जवाब दे चुके हैं लेकिन सेना ने अपने स्तर पर इस हमले के संबंध में जांच कराई है और इसी वजह से पाकिस्तान के जवाब में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि भारत ने बिना सोच समझे और बिना सबूतों के पाकिस्तान पर आरोप लगा दिया है जबकि इस हमले से पाकिस्तान का कुछ भी लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा पर भारत ने कई परत की सुरक्षा तैनात कर रखी है जिसके होते हुए घुसपैठ संभव नहीं है।
कश्मीर और सीमा पर भारत की सेना का इतना भारी जमावड़ा है कि वह राज्य की आबादी से भी अधिक है। इसके बाद भी घुसपैठ होती है तो इसका जवाब भारतीय सेना से पूछा जाना चाहिए कि वह क्या कर रही है। मेजर जनरल ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी तरीके से कूटनीतिक स्तर पर अलग थलग नहीं है और दूसरे देशों के नेता उसके यहां आ रहे हैं और उनके साथ समझौते हो रहे हैं। सैन्य कूटनीति में भी पाकिस्तानी सेना दूसरे देशों की सेनाओं के साथ संबंध बना रही है और संयुक्त सैन्य अभ्यास कर रही है।