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इंदौर। मध्यप्रदेश में मानसून की शुरुआती बौछारों के बाद बारिश की लंबी खेंच ने कॉटन किसानों की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि मध्यप्रदेश में कॉटन का जो क्षेत्र है, उन इलाकों में फिलहाल बोवनी के बाद नहरों ने काफी साथ दिया है जिससे कॉटन की फसल को अभी तक कोई बड़ी क्षति के समाचार कहीं से भी नहीं मिले हैं। वैसे भी कॉटन की फसल को पानी कम ही लगता है। व्यापारियों का कहना है कि अगले 5-6 दिनों में अगर बारिश नहीं होती है तो कॉटन की फसल को लेकर चिंता बढ़ सकती है।
फिलहाल मानसून की लंबी खेंच की वजह से स्टॉकिस्ट आदि अपनी बिकवाली से पीछे हटने लगे हैं जिससे रूई के घटते दामों में रुकावट के साथ ही कुछ सुधार देखने को मिला है। पिछले दिनों जो रूई के दाम 34800 रुपए थे, वो बढ़कर 35200 रुपए प्रति खंडी पर पहुंच गए हैं। हालांकि एक सप्ताह में बारिश हो जाती है तो रूई की कीमतों में फिर करेक्शन देखने को मिल सकता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में कॉटन की बोवनी 9 जुलाई तक 532 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इसी अवधि में कॉटन की बोवनी 251 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
व्यवसायी संजय लूनिया का कहना है कि अभी तक हुई बोवनी के बाद कॉटन के पौधों की ग्रोथ तो अच्छी है। दो-तीन अच्छी बारिश हो जाए तो फसल अच्छी होने के साथ ही उत्पादन भी जोरदार उतर सकता है। अभी तक देशभर में कॉटन की कुल आवक 358 लाख गांठ के करीब हो चुकी है और अभी भी रोजाना देशभर में करीब 4-5 हजार गांठ के करीब आवक हो रही है। इस साल उत्पादन का आंकड़ा 365-370 लाख गांठ के बीच रह सकता है।
इधर, मध्यप्रदेश में अभी तक 170 किलो की करीब 18 लाख गांठ कॉटन की प्रेसिंग हो चुकी है। हालांकि अभी मंडियों में आवक नहीं के बराबर है। बेस्ट क्वालिटी की रूई 34800-35200, मीडियम 34000-34500 फरदर 29500-30500 रु. प्रति खंडी के भाव रहे। दूसरी ओर मिस्र ने कपास की सभी किस्मों के आयात को रोक दिया है। कायरो के कृषि मंत्रालय का कहना है कि स्थानीय फसल के विपणन और उत्पादन को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मिस्र के अपने किसानों को समर्थन समाप्त करने की घोषणा किए जाने के केवल छह महीने बाद ही बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। इस निर्णय का उद्देश्य कपास के स्थानीय उत्पादन को संरक्षण प्रदान करने तथा इसके विपणन में आ रही दिक्कतों को दूर करना है। साथ ही यह भी कहा गया है कि 4 जुलाई से पूर्व आने वाले कार्गो भी स्वीकार किए जाएंगे। वहां मंत्रालय का कहना है कि देश सभी स्तरों पर अपनी कपास की पुरानी महान छवि को प्राप्त करना चाहता है।
चाइना की बिक्री जोरों पर
चाइना पर आए आर्थिक संकट के चलते उसने अपने रिजर्व स्टॉक में रूई की बिक्री की घोषणा कर दी है। सूत्रों के मुताबिक चाइना ने पहले दौर में 80 लाख गांठ बेचने की घोषणा की है जिसमें उसने 24 लाख गांठ बेचने के लिए पहला टेंडर जारी किया था जिसका करीब-करीब पूरा माल बिक चुका है। दूसरे टेंडर का इंतजार खरीदार कर रहे हैं।
इसके चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूई की कीमतों में गिरावट आई है। पिछले दिनों में विदेश में जो रूई वायदा 68 सेंट तक पहुंच गया था वो घटकर 65-66 सेंट रह गया है। चाइना की बिक्री से भारतीय यार्न की डिमांड में कमी देखने को मिल रही है जिसका असर आगे रूई बाजार में भी देखा जा सकता है लेकिन यह मानसून पर निर्भर करेगा।