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इंदौर। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्रीस, चीन, ब्राजील में संकट, रूस पर पश्चिमी देशों की पाबंदी और मंदी में ब्राजील। आमतौर पर ऐसी खबरें सोने के लिए पॉजिटिव होती हैं। बाजार में अटकलें भी थी कि सोने में निवेश के मौके फिर से आ रहे हैं, लेकिन इन उम्मीदों के बीच सोने पर कोई असर नहीं देखा जा रहा, बल्कि लगातार सोने के दाम भाव नीचे की ओर जा रहे हैं। आखिर क्या वजह है कि बुरे वक्त में हमेशा से निवेशकों का साथी रहने वाले सोने की डिमांड लगातार गिरती जा रही है।
एक व्यापारी का कहना है वर्तमान हालातों को देखते हुए सोना अब भी सुरक्षित निवेश का विकल्प नहीं रहा। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि ग्लोबल मार्केट में रिकॉर्ड स्तर से सोने का भाव 40 फीसदी नीचे आ गया है। पिछले तीन साल में सोने का भाव 27 फीसदी गिरा, जबकि एक साल में भाव 12 फीसदी गिरा है। वहीं घरेलू बाजार में रिकॉर्ड स्तर से सोने का भाव करीब 30 फीसदी नीचे आ गया है।
सोने में गिरावट के पीछे कुछ अहम वजहें गिनाई जा रही हैं। अमेरिका में राहत पैकेज बंद हो गया है और वहां ब्याज दरें बढ़ने की उम्मीद है। सोने के मुकाबले दूसरे एसेट में ज्यादा रिटर्न की उम्मीद ने भी इस मेटल को कमजोर करने का काम किया है। इसके साथ ही सोने में तेजी की कोई बड़ी वजह फिलहाल नजर नहीं आ रही है। इसके अलावा भारत में सोने की डिमांड पर सख्ती देखने को मिल रही है। इसमें जोखिम बढ़ा है, क्योंकि घरेलू भाव ग्लोबल भाव के मुकाबले अभी भी 10 फीसदी ऊपर हैं। प्रीमियम की वजह से सोने की कीमतों में पारदर्शिता नहीं है।
जून के दौरान अमेरिका में बेरोजगारी में गिरावट देखने को मिली है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जून में बेरोजगारी दर घटकर 5.3 फीसदी तक आ गई है, जो मई 2008 के बाद यानी 7 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। अमेरिकी सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी से पहले बेरोजगारी दर में गिरावट का इंतजार कर रहा है। पिछले दिनों आए बेरोजगारी आंकड़े अमेरिकी सेंट्रल बैंक को ब्याज दर बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की स्थिति में सोने की निवेश मांग में गिरावट आएगी। इस वजह से सोने की कीमतों पर दबाव आगे कुछ और बढ़ सकता है। इसके साथ ही घरेलू बाजार में सोने का भाव घटकर 25500 रु. के नीचे आ जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। हालांकि कीमतें इससे नीचे जाने पर आगे त्योहारों पर ग्राहकी का दबाव बढ़ सकता है, जो उपभोक्ताओं के लिए अच्छे संकेत हैं। इधर, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रीस संकट टल जाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सोने में कुछ डिमांग का सपोर्ट मिल सकता है, जिससे लंबी गिरावट की गुंजाइश कम है।
जून में स्वर्ण आयात 37 फीसदी घटा
देश में सोने का आयात जून में 37 फीसदी घटकर 1.96 अरब डॉलर रह गया। इससे चालू खाते के घाटे (कैड) पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। एक महीना पहले मई में सोने का आयात 2.42 अरब डॉलर हुआ था, जबकि पिछले साल जून में सोने का आयात 3.12 अरब डॉलर रहा था। आयात में कमी से जून में व्यापार घाटा भी कम होकर 10.82 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले साल इसी महीने में 11.76 अरब डॉलर रहा था। भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है।
गुरुवार को सरकार ने सोने के शुल्क-मूल्य को घटाकर 376 डॉलर प्रति 10 ग्राम और चांदी का 498 डॉलर प्रति किग्रा कर दिया है। पिछले पखवाड़े ये मूल्य क्रमश: 382 डॉलर और 516 डॉलर थे।