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इंदौर। चीन के बाजारों में जोरदार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। साथ ही यहां की इकोनॉमी को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। चीन की दिक्कतों से सिर्फ शेयर बाजार ही आहत नहीं हुए हैं, बल्कि कमोडिटी बाजारों में भी तेज गिरावट देखने को मिली है। चीन की हलचल का हमारे बाजारों पर भी असर दिखने लगा है।
भारतीय शेयर और सराफा मार्केट ही नहीं, अन्य जैसे कॉटन मार्केट भी टूटने लगा है। दरअसल, चीन भारतीय कॉटन का सबसे बड़ा खरीदार है लेकिन इस साल उसके पास पर्याप्त मात्रा में स्टॉक होने से उसकी खरीदी भारतीय बाजार में इस साल कमजोर रही। अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अब चीन अपना कॉटन का रिजर्व स्टॉक बाजार में बेचने की योजना बना रहा है जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कॉटन की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।
पिछले दिनों विदेश में रूई के दाम 68-69 सेंट पर पहुंच गए थे जो घटकर 64-65 सेंट पर आ गए। इसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिला है। रूई में जो पिछले दिनों निर्यातकों की खरीदी जोरों पर चल रही थी, वो थम गई जिससे रूई के दाम जो 35300 रु. तक पहुंच गए थे वो घटकर 34500 से लेकर 34800 रुपए प्रति खंडी तक बोले जाने लगे हैं।
दूसरी ओर देश के तीन सबसे बड़े कपास उत्पादक राज्यों ने इस साल देश में कपास के रिकॉर्ड उत्पादन के संकेत दिए हैं। गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना में इस साल कपास की खेती में जिस तरह से तेजी देखने को मिली है, उसे देखते हुए लग रहा है कि इन राज्यों में कपास का रकबा रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच जाएगा और अन्य राज्यों में हुई कम बोवनी की भरपाई करने में भी कारगर साबित होगा।
इधर, मध्यप्रदेश में जून की बारिश से कॉटन की बोवनी ने गति तो पकड़ ली थी लेकिन अंत के अंतिम सप्ताह से थमी बारिश ने इसकी फसल की ग्रोथ को थाम रखा है। हालांकि अभी तक मध्यप्रदेश में कॉटन की फसल को कहीं से भी कोई नुकसान के समाचार नहीं हैं। हालांकि एक-दो दिन से भोपाल लाइन पर हुई जोरदार बारिश से किसानों ने कुछ राहत की सांस ली है।
उम्मीद है जल्द ही पूरे प्रदेश में बारिश एक बार फिर सक्रिय हो जाएगी। अभी तक देशभर में कॉटन की आवक करीब 356 लाख गांठ पहुंच गई है। अब आवक का सिलसिला धीमा है। बोवनी के बाद एक बार फिर बाजार में आवक बढ़ सकती है। ऐेसे में इस साल उत्पादन का आंकड़ा 360-370 लाख गांठ के बीच रह सकता है जो सरकारी अनुमान 391 लाख गांठ से काफी कम होगा।
कॉटन निर्यात पर पड़ेगा असर
चीन में दिक्कतों के बाद कमोडिटी की कीमतों में आई गिरावट भारत के लिहाज से बेहतर ही साबित होगी लेकिन चीन में मंदी की आशंका से बाकी देशों के अलावा भारत के एक्सपोर्ट पर भी असर पड़ेगा। इसमें विशेष रूप से कॉटन का निर्यात जो भारत से होता है, उस पर असर देखने को मिलेगा।
- राजेंद्र लूनिया, व्यवसायी