शैलेश पाठक - 98260-11032
इंदौर। पिछले साल कम बारिश और इस साल मार्च-अप्रैल में बेमौसम बारिश के साथ ही ओलावृष्टि के कारण दलहन की फसल को भारी नुकसान हुआ था। इसके चलते उत्पादन 2014-15 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 1.73 करोड़ टन रह गया जो इससे पिछले फसल वर्ष में 1.92 करोड़ टन था। यानी प्रतिकूल मौसम के कारण दलहन का घरेलू उत्पादन 2014-15 फसल वर्ष में करीब 19 लाख टन घटा। इससे कई दालों की कीमतें काफी उछल चुकी हैं। बाजार में बढ़ती महंगाई के कारण सरकार काफी चिंतित है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में दालों के बढ़ते मूल्य पर चिंता जाहिर की गई। इस पर जल्द अंकुश लगाने के लिए सरकार बड़ी मात्रा में दलहन आयात करेगी ताकि घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़ाई जा सके।
एक व्यापारी का मानना है दलहन का जल्द इम्पोर्ट किया जाता है तो भी देश में इसकी कीमतों पर नियंत्रण करने में कुछ खास मदद नहीं मिलेगी। एक्सपर्ट्स का तो कहना है सरकार को अगस्त तक दलहन का इम्पोर्ट स्थगित करना चाहिए। इंडियन ग्रेन्स एंड पल्सेज एसोसिएशन के चेयरमैन प्रवीण डोंगरे ने बताया अगस्त-सितंबर तक कनाडा, अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया और म्यांमार जैसे देशों से नई फसलों की आवक शुरू हो जाएगी। इन देशों से भारत मुख्य तौर पर दलहन का इम्पोर्ट करता है। अभी इम्पोर्ट करना ठीक नहीं होगा क्योंकि सप्लाई की कमी और स्टॉक घटने की वजह से इंटरनेशनल प्राइसेज मजबूत हो रही हैं। इस वजह से इम्पोर्ट करने के बावजूद दाम नीचे नहीं आएंगे। इम्पोर्ट में एक या दो महीने की देरी करने से कीमतों में बहुत अधिक बढ़ोतरी भी नहीं होगी और इस वजह से हड़बड़ी करने की जरूरत नहीं है।
सरकार को इम्पोर्ट में जल्दबाजी करने के बजाय जमाखोरों पर सख्त कार्रवाई के आदेश जारी कर देना चाहिए। अगले दो महीने तक जमाखोरों पर सख्त निगरानी रखी जाए। इतने में ही दलहन और दालों के दाम कंट्रोल में आ जाएंगे। सरकारी आदेशों के बाद से दलहन की कीमतों में धीरे-धीरे गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है। दालों की कीमतें बेकाबू न हों, इसके लिए फूड कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया यानी एफसीआई अब दालों का भी स्टॉक करेगा।
सरकार का फोकस अब गेहूं और चावल के बजाय दालों पर है और इसके लिए एफसीआई को नई जिम्मेदारी दी जा सकती है। माना जा रहा है कि एफसीआई जल्द ही दालों का भी स्टॉक करेगा और इस प्रस्ताव को कैबिनेट के पास भेजा जाएगा। एफसीआई को वित्तीय मदद देने के लिए वित्त मंत्रालय सहमत हुआ है। साथ ही किसानों से सीधे दलहन की खरीद करने की छूट एफसीआई को मिल सकती है। इसके अलावा कीमतें बढ़ने पर एफसीआई दलहन को खुले बाजार में बेच सकता है। हाल ही में सरकार ने देश में दालों का उत्पादन बढ़ाने और बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिए इस वर्ष के लिए दलहन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 275 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ा दिया है।
इंटरनेशनल मार्केट की निगाहें भारत पर
अभी इम्पोर्ट करने से इंटरनेशनल मार्केट में कीमतें और बढ़ सकती हैं क्योंकि वहां ट्रेडर्स भारत की स्थिति पर नजर रख रहे हैं और वे भारत की ओर से खरीदारी बढ़ने पर दामों में वृद्धि कर सकते हैं। जमाखोरी पर सख्ती की खबरों से ही दाम पिछले एक महीने में कुछ कम हुए हैं और हमारा अनुमान है कि भारत के इम्पोर्ट मार्केट में उतरने पर इसकी कीमतें भी चढ़ सकती हैं।
- सुरेश अग्रवाल, अध्यक्ष मध्यप्रदेश
दाल मिल, एसोसिएशन