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Astrology

किसी भी पुस्तक में नहीं मिलता इसका उल्लेख

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 12 2017 11:51AM | Updated Date: May 12 2017 11:51AM
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जब से वास्तु का प्रचलन बढ़ा है तब से घर की तोड़-फोड़ ज्यादा होने लगी है। अनावश्यक तोड़-फोड़ से आर्थिक नुक्सान तो होता ही है तथा साथ ही वास्तुभंग का दोष भी लगता है। मात्र दिशाओं के अनुसार किया निर्माण कार्य हमेशा शुभ फलदायक हो, यह आवश्यक नहीं है। अशुभ समय में किया गया कार्य कितना ही वास्तु सम्मत क्यों न हो, नुक्सान उठाना पड़ सकता है।
 
ऐसे में वास्तु से जुड़ी भ्रांतियों को समझने और उनके समाधान से ही उचित रास्ता निकल सकता है। वास्तु में सबसे ज्यादा मतांतर मुख्य द्वार को लेकर है। अक्सर लोग अपने घर का द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में रखना चाहते हैं लेकिन समस्या तब आती है जब भूखंड के केवल एक ही ओर दक्षिण दिशा में रास्ता हो।
 
वास्तु में दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार रखने को प्रशस्त बताया गया है। आप भूखंड के 81 विन्यास करके आग्रेय से तीसरे स्थान पर जहां गृहस्थ देवता का वास है, द्वार रख सकते हैं। द्वार रखने के कई सिद्धांत प्रचलित हैं जो एक-दूसरे को काटते भी हैं जिससे असमंजस पैदा हो जाता है। ऐसी स्थिति में सभी विद्वान मुख्य द्वार को कोने में रखने से मना करते हैं। ईशान कोण को पवित्र मान कर और खाली जगह रखने के उद्देश्य से कई लोग यहां द्वार रखते हैं लेकिन किसी भी वास्तु पुस्तक में इसका उल्लेख नहीं मिलता है।
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