नवरात्रि के बाद ही हो जाती है त्योहारों के खुशियों भरे दौर की शुरूआत और बारी आती है घर की सजावट और साफ-सफाई की। इस दौरान आपको घर को सकारात्मक ऊर्जा से भी सराबोर करना भी जरूरी होता है। आइए वास्तु के ये नियम अपनाएं जो सुख समृद्धि की निशानी होते हैं और हंसी खुशी करें करें आने वाले त्योहारों का स्वागत।
बाजार की रौनक तेजी से बढ़ने लगी है। सजावट के सामानों से बाजार सजने लगे हैं। सफाई का दौर शुरू होने लगा है। दीवाली तक चलने वाली इस सफाई का आशय केवल सजावट करना नहीं होता, बल्कि घर के कोने-कोने को आनंदित करने वाली ऊर्जा से भर देना होता है। नवरात्रों के दिनों से ऋतु परिवर्तन आरंभ हो जाता है। सूरज दक्षिणायन होने लगता है, जो शरद ऋतु के आगमन का संदेश होता है। ऐसे में घर में एक नई तरह की ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है। सकारात्मक ऊर्जा व तरंगों से परिपूर्ण घर में वास हर किसी को अच्छा लगता है, साथ ही यह समृद्धि की निशानी भी है।
धूल-मिट्टी और जालों से घर गंदा ही नहीं लगता, घर में खराब ऊर्जा भी प्रवेश करती है। संभव है तो नए रंगों से घर को पेंट करवाएं। घर में कहीं भी जाले न रहने दें। माना जाता हे इससे घर से संपन्नता दूर भागती है। घर की छत और बालकनी में किसी तरह की गंदगी न रहने दें। बेकार, टूटा-फूटा या जंग लगा सामान एकत्र न होने दें। घर की छत मस्तक के समान होती है, जिसमें गंदगी का रहना नकारात्मक ऊर्जा ला सकता है। पूजा घर कभी भी बेडरूम में न बनाएं। यदि ऐसा है तो खासतौर पर नवरात्र से दीवाली तक यह व्यवस्था बदलने का प्रयास करें। पूजा करते वक्त ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की में हो। त्योहार में घर में हल्के चमकदार व शोख रंगों का इस्तेमाल करें, जैसे लाल, संतरी, गुलाबी, हरा, पीला आदि। काला, सलेटी, गहरा नीला आदि रंगों के प्रयोग से बचें। घर के दरवाजों को आम के पत्तों से सजाएं। इससे घर में धन-धान्य में बरकत होती है।