वास्तु शास्त्र के मुताबिक प्लॉट के चारों कॉर्नर 90 डिग्री पर हो यानि प्लॉट का आकार आयताकार या वर्गाकार हो। यदि प्लॉट उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ा हुआ हो तो भी ठीक है पर दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में बढ़ा हुआ भूखंड उपयुक्त नहीं होता। दो बड़े प्लॉट के बीच स्थित एक अपेक्षाकृत छोटा प्लॉट आर्थिक समृद्धि के लिए उपयुक्त नहीं होता हें। अगर प्लॉट के उत्तर-पूर्व में कोई पानी का स्थान है तो यह शुभ होगा पर दक्षिण-पश्चिम दिशा में पानी का स्थान नहीं होना चाहिए। प्लाट टी पॉइंट पर नहीं होना चाहिए यानि प्लाट के किसी भी दीवार पर आकर कोई रास्ता बंद नहीं हो जाना चाहिए। प्लॉट के सामने कोई मंदिर, मकबरा, श्मशान नहीं होना चाहिए और उस पर न तो मंदिर या पीपल के पेड़ की छाया पड़नी चाहिए।