ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन से विश्व में स्वर्ण युग का आरम्भ हुआ था। इस दिन खरीदी गई वस्तु का कभी क्षय नहीं होता। इस मान्यता के चलते अक्षय तृतीया के दिन लोग सोने के आभूषणों की खरीददारी करते हैं। कहते हैं अक्षय तृतीया के दिन की जाने वाली खरीददारी शाश्वत समृद्धि का प्रतीक है और घर में सुख-समृद्धि लाती है। माना जाता है कि इंसान पर अपने पूर्वजों का ऋण भी होता है और ईश्वर यह अपेक्षा करते हैं कि मानव इसे चुकाने का प्रयत्न करे। तिल सात्विकता का प्रतीक है जो नेगेटिव एनर्जी को दूर करता है और जल पवित्र धार्मिक भावना का प्रतीक है। लिहाजा तिल-तर्पण के जरिए व्यक्ति अपने पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करता है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के साथ ही भगवानों के कोषाध्यक्ष कुबेर की पूजा भी पूजा की जाती है। उनकी पूजा करने से श्रद्धालु को जीवन में सिद्धि, आहार और अर्थ की प्राप्ति होती है।