घर की आंतरिक साज-सज्जा मकान में रहने वाले व्यक्ति के जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती है। मान लीजिए सारा मकान वास्तु के आधार पर बना है लेकिन घर में जो चित्र लगाए गए हैं वे खून-खराबा वाले, मार-धाड़ वाले हैं। घर में रहने वाला व्यक्ति सुबह-शाम लगातार उन्हीं चित्रों को देखता है,उस व्यक्ति का उसी के आधार पर माइंड सेट हो जाता है और उसके जीवन में उसी प्रकार के विचार आने लगते हैं। यदि अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्तियो के जीवन का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि उनके बेडरूम की आंतरिक साज-सज्जा ने भी उसके मन मस्तिष्क और जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है। उदाहरण एक क्लासरूम है टेबल कुर्सी अस्तव्यस्त हैं,साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा गया है।
यहां-वहां कचरा पड़ा हुआ है। कहीं-कहीं पान की पीक भी दिखाई देती है तो वह कमरा हर प्रकार से वास्तु के अनुकूल होते हुए भी आंतरिक साज-सज्जा के कारण वहां पढ़ने वाले छात्रों के रिजल्ट पर और उनके विचारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। दूसरी ओर उसी कमरे में सारी टेबल व्यवस्थित लगी हो,साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा गया हो? दीवारों में अच्छा पेंट किया हो और मां सरस्वतीजी की अच्छी पेंटिंग बनाई गई हो, जगह-जगह सुविचार लिखे गए तो निश्चित ही अध्ययन करने वाले छात्रों की एकाग्रता एवं उनके रिजल्ट के अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
पुराने राज भवन और मंदिरों को देखें तो दीवारों पर सुंदर भित्ती चित्र बने होते थे। लकड़ी के दरवाजों पर सुंदर फूल, पत्ती,बेल,बूटी कलश ,स्वास्तिक, अप्सराओं के सुंदर चित्र बने हुए होते थे। पत्थरों में बहुत सुंदर बारीक नक्काशी की जाती थी। रामायण और भागवत में महलों का जो वर्णन किया गया है उसमें झालर,परदों, झूमर का बहुत वर्णन आता है। उस समय में जो सीढ़ियों का वर्णन है सीढ़ियां अत्यंत खूबसूरत होती थी। इसमें लाल रंग की प्रधानता होती थी। भवन के सामने फव्वारा और बगीचा रहता था इन सब का प्रयोजन उस मकान में सकारात्मक ऊर्जा का बढ़ाना था क्योंकि यह तत्व उस मकान में रहने वाली व्यक्ति के व्यक्तित्व और कृतित्व को प्रभावित करते हैं उसकी विचारधारा पर सीधा प्रभाव डालते हैं। चित्र,पर्दे,सीनरी सभी मनमोहक होना चाहिए एवं अलग-अलग राशि के अनुसार अलग-अलग रंग के परदे और अलग-अलग चित्र होना चाहिए।
1.ऊगते हुए सूर्य का चित्र लगाएं इससे जीवन में नई ऊर्जा प्राप्त होगी। अस्त होते हुए सूर्य का चित्र नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह जीवन में नीरसता का भाव पैदा करता है।
2. आज काल नग्न अश्लील चित्रों का फैशन सा हो गया है।इस प्रकार के चित्र घर में नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह हमारी मानसिकता को तो विकृत करेंगे ही और हमारी आने वाली जनरेशन पर भी विपरीत प्रभाव डालेंगे।लेकिन बीयर बार, कैसीनो में यह चित्र उनके व्यापार को बढ़ाने वाले साबित होते हैं । वहां यह उचित है।
3. चंद्रग्रहण ,सूर्यग्रहण के चित्र को घर में नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह पूर्णता में अपूर्णता का अहसास कराते हैं।इनके लगातार देखने से निराशा का भाव पैदा होगा।
4. युद्ध संबंधी चित्र, खून से लथपथ चित्र घर में कभी भी नहीं लगाना चाहिए। चाहे उनका कोई धार्मिक कनेक्शन ही क्यों ना हो? ( रामायण महाभारत के युद्ध संबंधी चित्र)
5. उल्लू,चमगादड़ ,सांप ,बिच्छू ,बिल्ली, गीदड़, गधा, भेड़िया, शिकारी कुत्ते के चित्र नहीं लगाना चाहिए।
6.लड़ते हुए जानवर के चित्र व खिलौने घर में नहीं लगाना चाहिए। आजकल इन चित्रों को घर में लगाने का फैशन सा हो गया है?
7. भूकंप, ज्वालामुखी, राक्षस एवं लड़ते हुए मनुष्यों के चित्र,खिलौने एवं पेंटिंग घर में नहीं लगाना चाहिए।
8. दुर्घटना, उपद्रव, अग्नि कांड, अकाल सूखे हुए वृक्ष के चित्र एवं सीनरी घर में नहीं लगाना चाहिए।
9.नृत्य गान संबंधित चित्र उत्तर दिशा में लगाएं।
10.तोता, मैना, हंस,वीणा,बांसुरी, गाय मोर, चिड़िया, मछली आदि मनमोहक चित्र सीनरी लगाना चाहिए।
11. विभिन्न मुद्राओं में बच्चों के चित्र,मां की गोद में बच्चे का चित्र,दादा-दादी के साथ की सीनरी घरों में लगाना चाहिए।
12. रंग-बिरंगे फूल, हरियाली, झरना,नदी,समुद्र, चिड़ियां, तितलियां कमलपुष्प के चित्र घर में लगाना चाहिए।
13. स्वास्तिक,शंख,मोरपंख,भगवान कृष्ण की मनमोहक बाल लीलाओं के चित्र एवं सीनरी घर में लगाना चाहिए।
14, विभिन्न प्रकार के फलों के चित्र। आज काल तो बाजार में अंगूर के गुच्छे आम एवं प्लास्टिक की हरी पत्तियां आ रही है उनसे भी घर का डेकोरेशन किया जा सकता है।
15. घर के ड्राइंग हॉल में रोज ताजे फूल एवं पत्ती का गुलदस्ता जरूर रखना चाहिए। यह उस जगह की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है,सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
16. लक्ष्मी जी की मूर्ति एवं चित्र को आग्नेय में स्थापित करना चाहिए।शंकरजी के चित्र एवं मूर्ति को ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए। हनुमानजी का चित्र दक्षिण की ओर देखते हुये लगाना चाहिए।कुबेरजी की तस्वीर उत्तर की ओर लगाना चाहिए।लक्ष्मीनारायण, राम-सीता,राधा-कृष्ण की मूर्ति ,चित्र पूर्व में होना चाहिए अर्थात पश्चिम दिशा की ओर देखती हुई स्थापित करना चाहिए।
17. स्वर्गीय व्यक्ति के चित्र दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए।
18. चित्र कम से कम लगाना चाहिए। अत्याधिक चित्र सकारात्मक ऊर्जा को खत्म करते हैं।
19. घर की सेवा में जो भगवान की मूर्ति होती है वह बहुत बड़ी नहीं होना चाहिए। ऐसा अग्नि पुराण का मत है। बड़ी मूर्ति मंदिर में लगाई जाती है घर में जितनी छोटी मूर्ति होगी उतनी शुभ होगी।
20. भगवान की मूर्ति ,चित्र दक्षिण दिशा में नहीं लगाना चाहिए।
इन वास्तु ट्रिप का उपयोग कर अपने जीवन को सुखी एवं मंगलमय बना सकते हैं।