अपारिजिता एक आयुर्वेदिक और बहुत ही आम बारहमासी बेल है जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होती है। इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटी का वैज्ञानिक नाम क्लिटोरिया टर्नेटे (Clitoria ternatea) है। इसे पौधे को हिंदी में कॉयाला (Koyala), अंग्रेजी में वटरफ्लाई पिया (Butterfly) और संस्कृत में गिरिकर्निका (Girikarnika) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक औषधीय गुणों वाली जड़ी बूटी है जो कि आम घरेलू पौधों की तरह घरों में उगाई जाती है। अपारिजिता पौधे को बहुत ही कम देखभाल की आवश्यकता होती है। अपारिजिता के फायदे इस पौधे के संपूर्ण भाग के औषधीय उपयोग के लिए हैं। विशेष रूप से इस पौधे की जड़ जो ल्यूकोडर्मा (leucoderma) के इलाज के लिए उपयोग की जाती है। अपारिजिता के फायदे विषहर के रूप में भी उपयोग के लिए जाने जाते हैं।
गर्भवती होने के लिए-नीली अपराजिता की जड़ को कुंवारी कन्या द्वारा बकरी के दूध में पिसवाकर मासिक के बाद तीन दिन तक पीने से बन्ध्या स्त्री भी गर्भवती हो जाती है।
भूत-प्रेत भगाने हेतु-शनिवार की रात्रि में नीली अपराजिता की जड़ को प्राप्त करके सिद्ध करके भूत-प्रेत बाधा से युक्त रोगी के गले में पहना देने से किसी भी प्रकार नकारात्क उर्जा एवं भूत-प्रेत बाधा दूर हो जाती है।
विष दूर करने के लिए-अपराजिता की जड़ को घिसकर विष वाले स्थान पर लगाने से विष दूर हो जाता है।
प्रसव कष्ट-यदि किसी गर्भवती महिला को प्रसव में कष्ट न हो तो उसके लिए उस स्त्री के कमर में सफेद अपराजिता की जड़ पहना दें।
चोरों से रक्षा के लिए-श्वेत अपराजिता की जड़ को बकरी के दूध में घिसकर गोली बना लें। फिर ये गोलिया घर की चारों दिशाओं में रख दें। ऐसा करने से घर के अन्दर चोरों का प्रवेश जल्दी नहीं हो पाता है।
नकारात्मक उर्जा दूर करने के लिए-यदि आपके घर या ऑफिस में नाकारात्मक उर्जा का वास बना रहता है तो श्वेत अपराजिता की जड़ को शनिवार के दिन एक नीले कपड़े में बॉधकर दरवाजे पर लटका देने से नकारात्मक उर्जा दूर हो जाती है।
किसी को वश में करने के हेतु-रविवार को हस्त या पुष्य नक्षत्र में अपराजिता के फूल लायें। ग्रहण में इसकी मूल जड़ को लेकर कृष्ण पक्ष की अष्टमी व चतुर्दशी को जब शनिवार या रविवार पड़े, उस दिन शिव मन्दिर में सफेद वस्त्र पहनकर गोली बनाकर सुखायें। जब प्रयोग करना हो तब इसे घिसकर अपने माथे पर तिलक लगायें। यदि भीड़ को वश में करना हो तो इसकी गोली बनाकर अपने मुख में रखें।