वाराणसी। वह लावारिश लाशों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं। जहां कहीं लावारिस लाश का पता चला, उसके खुद-ब-खुद हकदार हो जाते हैं। वाराणसी की सरजमी पर ऐसी शख्सियत मौजूद है। मकसद सिर्फ और सिर्फ लावारिश लाशों का भी सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार कराना है।
एक दो नहीं, बल्कि तीन हजार से ज्यादा लावारिस लाशों को टिक्टी, कफन के साथ चिता जलवा चुके या फिर दफन करा चुके हैं। रोज पांच-सात लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कराना पेशे से सीए नित्यानंद तिवारी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। बस पुलिस थाने से एक कॉल आने भर की देर रहती है।
दिल पसीजा तो जुट गए
लावारिस लाशों का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराने की सोच के पीछे वजह बताते हुए किसान के बेटे नित्यानंद तिवारी कहते हैं, 'तीन साल पहले रास्ते से गुजरते समय रिक्शे पर झूलती लाश को देखा। रिक्शे के पीछे-पीछे चल रहे पुलिसवालों से बात करने पर पता चला कि वे लाश को पत्थर से बंधवाकर गंगा में फेंक देंगे। बस यहीं से दिल ऐसा पसीजा कि लावारिस लाशों का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराने की ठान ली।' अब तो नित्यानंद ने इसके लिए बकायदा लावारिस लाश सेवा केंद्र खोल दिया है।