मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के खतौली में कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस भीषण हादसे का शिकार हो गई। इस हादसे में 23 लोगों की मौत हुई है जबकि 156 यात्री जख्मी हुई है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को प्रथम दृष्टया साक्ष्यों के आधार पर आज ही जबावदेही तय करने के निर्देश दिए हैं। आपको बता दें कि दुर्घटना इतनी भयावह थी कि पटरी से उतरे 13 कोच एक-दूसरे पर जा चढ़े। यहां तक कि एक पास के मकान में और दूसरा कॉलेज में जा घुसा। दिल्ली डिवीजन के डीआरएम आर एन सिंह ने कहा, ट्रेन में 23 डिब्बे थे जिनमें से 13 डिब्बे पटरी से उतर गये थे। हादसे के वक्त ट्रेन करीब 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी।
ट्रैक से अभी तक नहीं हटे क्षतिग्रस्त कोच
खतौली में हुए भीषण ट्रेन हादसे के कारण रात भर खोज एवं बचाव अभियान चलाए जाने के बाद रेलवे ने आज पटरियों पर से मलबा हटाने के लिए हाई-टेक क्रेनों और कई कर्मचारियों को तैनात किया है। पटरी से उतर चुके डिब्बों को हटाने के लिए 140 टन वजन की दो क्रेनों को सेवा में लगाया गया था, जिनकी सहायता से हादसे में जीवित बचे लोगों को मलबे से सुरक्षित बाहर निकालने एवं हादसे के शिकार हुए लोगों के शवों को निकालने का काम पूरी रात चलता रहा।
पास की जगहों से लाइनमैन और अन्य कामगारों को बुलाकर अवांछित पत्थरों को बेलचे की मदद से हटाया गया और क्षतिग्रस्त पटरियों को मजबूत करने के लिये कंक्रीट की नई स्लीपर्स को वहां डाला गया। पटरी से उतरे डिब्बों में से छह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गये हैं। बुरी तरह क्षतिग्रस्त डिब्बे मलबा हटाने का काम जारी रखने में चुनौती खड़ी कर रहे हैं। तड़के करीब तीन बजे एनडीआरएफ के पहुंचने पर बचाव अभियान ने पूरी रफ्तार पकड़ी। बीती शाम हुई दुर्टना के बाद से टनास्थल पर उत्तर प्रदेश पुलिस, आरपीएफ, पीएसी और आरआरएफ कर्मियों को तैनात किया गया है।
लेखपाल मैन कुमार और तेजेंद्र ने बताया कि वह मोदीपुरम में ही किराए पर रहते हैं। रविवार की छुट्टी थी तो ट्रेन से घर जा रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि यह हादसा हो जाएगा। जीवन में पहली बार ऐसा हादसा देखा है। हमारा तो मौत से आमना-सामना हुआ। यह भीषण हादसा था। पता नहीं कितनों की मौत हुई होगी।