लखनऊ। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट इस मामले में दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर बच्चों की मौत हुई कैसे? इसमें घटना की न्यायिक जांच और पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की गई है।
जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि इस मामले में लीपापोती करने की कोशिश की गई। सही तथ्य छिपाते हुए जिम्मेदारों की करतूत पर पर्दा डाला गया। इस वजह से जिम्मेदारों के बयान भी बदलते रहे।
यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस दया शंकर तिवारी की बेंच ने नूतन और रज्य सरकार के महाधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह तथा चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के अधिवक्ता संजय भसीन को सुनने के बाद दिया है।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता श्री सिंह ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले में सभी संभव कदम उठा रही है और मुख्य सचिव की रिपोर्ट आने के बाद शेष सभी कार्यवाई की जाएगी। इस पर नूतन ने कहा कि राज्य सरकार के अब तक के कार्यों से ऐसा सन्देश गया है कि वे कुछ छिपाना चाहते हैं और कुछ लोगों का बचाव किया जा रहा है, जिससे लगता है कि मुख्य सचिव की जांच एक दिखावा ही होगी।
इस मामले में हुई लापरवाही के संबंध में जिला अधिकारी जी जांच रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और ऑक्सीजन यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर सतीश को लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया गया है।
याचिकाओं में कहा गया है कि 10 और 11 अगस्त को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने से करीब 67 बच्चों की मौत हो गई। इस मामले में अस्पताल प्रशासन और ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के साथ ही बड़े अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आ रही है। मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी को भी याचिका में आधार बनाया गया है। पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने की भी मांग की गई है।