नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को राहत देते हुए उन्हें नौकरी में बनाए रखने का फैसला लिया है, लेकिन इसके लिए उन्हें शिक्षक प्रवेश परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करनी होगी। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने शिक्षामित्रों की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को अब सहायक अध्यापक पद से नहीं हटाया जाएगा, लेकिन उन्हें टीईटी परीक्षा पास करनी होगी। दो साल के अंदर उन्हें यह परीक्षा पास करनी होगी, साथ ही उनके अनुभव का उन्हें वेटेज मिलेगा।
न्यायमूर्ति गोयल ने कहा कि जिन शिक्षामित्रों ने टीईटी परीक्षा पहले ही पास कर ली हो तो उनके शैक्षणिक दस्तावेज देखकर उनकी नियुक्ति पर मोहर लगाई जाएगी। गौरतलब है कि तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने शिक्षामित्रों की नियुक्ति सहायक शिक्षकों के रूप में की थी, परंतु उनकी नियुक्ति में धांधली की बात सामने आने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तत्कालीन सरकार द्वारा की गई नियुक्ति निरस्त कर दी थी। जिसके बाद से ही तमाम शिक्षा मित्र आंदोलन कर रहे थे। लंबे समय से चल रहे आंदोलन के बाद न्यायालय का फैसला तमाम शिक्षामित्रों के लिए राहत लेकर आया है।
शिक्षामित्रों की ओर से शीर्ष अदालत में पेश वकीलों की दलील थी कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे है। साथ ही उन्होंने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई थी कि संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर उन्हें राहत प्रदान की जाए। सहायक शिक्षक बने करीब 22 हजार शिक्षामित्र ऐसे है, जिनके पास वांछनीय योग्यता है, लेकिन उच्च न्यायालय ने इस पर ध्यान नहीं दिया।