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'काशी विश्वनाथ' के दर्शन से सांसारिक भयों का नाश

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 24 2017 2:31PM | Updated Date: Jul 24 2017 3:44PM
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वाराणसी। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल उत्तर प्रदेश की प्राचीन धार्मिक नगरी वाराणसी में आज सावन के तीसरे सोमवार के मौके पर "काशी विश्वनाथ' के जलाभिषेक एवं पूजन-दर्शन के लिए यहां आये लाखों देशी-विदेशी शिवभक्तों के "हर-हर महादेव, बम-बम भोले, बम-बम लहरी" के जयकारे से आकाश गूंजायमान रहा।       
 
तीनों लोकों में न्यारी इस धार्मिक नगरी में हजारों साल पूर्व स्थापित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म में सर्वाधिक महत्व के इस मंदिर के बारे में कई मान्यताएं हैं। माना जाता है कि भगवान शिव ने इस 'ज्योतिर्लिंग' को स्वयं के निवास से प्रकाशपूर्ण किया है। पृथ्वी पर जितने भी भगवान शिव के स्थान हैं, वे सभी वाराणसी में भी उन्हीं के सान्निध्य में मौजूद हैं। भगवान शिव मन्दरपर्वत से काशी आए तभी से उत्तम देवस्थान नदियों, वनों, पर्वतों, तीर्थो तथा द्वीपों आदि सहित काशी पहुंच गए।
 
विभिन्न ग्रन्थों में मनुष्य के सर्वविध अभ्युदय के लिए काशी विश्वनाथ जी के दर्शन आदि का महत्व­ विस्ता­रपूर्वक बताया गया है। इनके दर्शनमात्र से ही सांसारिक भयों का नाश हो जाता है और अनेक जन्मों के पाप आदि दूर हो जाते हैं। काशी विश्वेश्वर लिंग ज्योतिर्लिंग है, जिसके दर्शन से मनुष्य परमज्योति को पा लेता है। सभी लिंगों के पूजन से सारे जन्म में जितना पुण्य मिलता है, उतना केवल एक ही बार श्रद्धापूर्वक किए गए 'विश्वनाथ' के दर्शन-पूजन से मिल जाता है। माना जाता है कि सैंकड़ों जन्मों के पुण्य के ही फल से विश्वनाथ जी के दर्शन का अवसर मिलता है।
 
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