कानपुर। राजस्व देने के मामले उत्तर प्रदेश के अग्रणी जिलों की फेहरिस्त में शामिल होने के बावजूद प्रदूषण,खस्ताहाल सडकें,जाम की समस्या और उद्योग धंधों की बदहाली जैसी तमाम समस्यायों से आयेदिन दो चार होने के आदी कानपुर के बांशिदे विकास की दरकार के साथ 19 फरवरी को अपने नए खेवनहार का चुनाव करेंगे। चुनावी खुमार में डूबे इस औद्योगिक शहर में राज्य विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में वोट डाले जाएगे।
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन विभिन्न दलों के प्रत्याशियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। बालीवुड सितारों के साथ घूमते प्रत्याशियों ने गली सडक और चौराहों के किनारे खडे लोगों से हाथ जोडकर वोट देने की अपील की। वर्ष 2012 के चुनाव में विकास के नारे के साथ साइकिल में सवार अखिलेश यादव का जादू यहां जमकर बोला था और इसी के चलते समाजवादी पार्टी(सपा) दस में से पांच सीटों पर कब्जा करने में सफल रही थी
जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में चार और कांग्रेस को एक सीट पर विजय हासिल हुई थी। मूलभूत समस्यायों से पीडित कानपुर की खासियत रही है कि यहां लगभग हर छोटे बडे चुनाव में विकास के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाता है मगर मतदान करीब आते आते मतदाता राजनीतिक दलों द्वारा विछाई गई
जातपात की बिसात में फंस जाते है। आजादी के बाद से अब तक यहां के लोगों ने वामपंथी दलों से लेकर कांग्रेस,भाजपा,सपा और बसपा समेत हर दल को कसौटी पर परखा है मगर लोगों की शिकायत है कि राजस्व देने के मामले में अव्वल इस शहर की ओर किसी भी दल ने विशेष तवज्जो नही दी।