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अब अकेले उतरेगी रालोद, सिर्फ कांग्रेस के साथ सपा : किरणमय

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 19 2017 8:28PM | Updated Date: Jan 19 2017 11:27PM
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लखनऊ। उप्र में सीटों के बंटवारे को लेकर पेच फंसने की वजह से अजीत सिंह की राष्‍ट्रीय लोक दल (रालोद) सत्ताधारी समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के साथ महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। रालोद अब अकेले चुनाव लड़ेगी। रालोद का पश्चिमी उप्र में कुछ सीटों पर अच्छा प्रभाव माना जाता है। अब सपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगी। सपा नेता किरणमय नंदा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की पुष्टि करते हुए कहा कि सीटों को लेकर औपचारिक ऐलान जल्द ही किया जाएगा। समझौते के मुताबिक सपा 300 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है जबकि बाकी सीटों पर कांग्रेस और दूसरे सहयोगी चुनाव लड़ेंगे।

दोनों दलों ने बातचीत से किया इनकार

सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित महागठबंधन में कम सीटों की पेशकश किए जाने से रालोद चीफ अजीत सिंह नाराज थे। हालांकि, अब रालोद और सपा इस बात से ही इनकार कर रही हैं कि गठबंधन को लेकर उनके बीच कोई बातचीत चल रही है। रालोद नेता त्रिलोक त्यागी ने कहा कि बहुत पहले सपा नेताओं ने गठबंधन को लेकर हमसे बातचीत की थी, लेकिन इस बीच गठबंधन को लेकर कोई बात नहीं हुई है। दूसरी तरफ सपा नेता किरणमय नंदा भी यही कह रहे हैं।

भाजपा के दबाव में सपा ने मुंह फेरा: रालोद 

रालोद ने आरोप लगाया है कि सपा भाजपा के दबाव में उससे गठबंधन नहीं कर रही है। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने कहा कि भाजपा ने गठबंधन में रोड़ा बने सपा नेता को सीबीआई का डर दिखा रखा है इसलिए वह नहीं चाहते कि कांग्रेस और सपा के गठबंधन में रालोद भी शामिल हो।

बाहुबली नेता अतीक अहमद नहीं लड़ेंगे चुनाव

बाहुबली नेता और कानपुर छावनी सीट से सपा के प्रत्याशी घोषित किए गए अतीक अहमद ने गुरुवार को कहा कि वह अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। अतीक ने कहा कि मीडिया उन्हें इस कुर्बानी के लिए मजबूर कर रहा है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तो उन्हें चाहते हैं लेकिन मीडिया उनसे पूछता है कि अतीक तो माफिया हैं।

ऐसे फंसा पेंच

बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने रालोद प्रमुख के बेटे जयंत चौधरी को 20 सीटों का प्रस्ताव दिया है जो लगातार कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और वरिष्ठ नेता गुलामनबी आजाद से संपर्क में हैं। सूत्रों के मुताबिक अजीत सिंह ने कहा है कि वह 30 से कम सीटों से संतुष्ट नहीं होंगे।

सपा ने ये बताई वजह

किरणमय नंदा ने कहा कि 2013 में हुए मुजफ्फरनगर (जिसे अजीत सिंह का गढ़ माना जाता है) दंगों के बाद सपा का जाट पार्टी से हाथ मिलाने का मतलब इलाके के मुसलमानों को खुद से दूर करना है। बता दें कि हिंदू-मुसलमानों के बीच हुए तनाव में करीब 60 लोग मारे गए थे और 40 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे।

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