लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में हो रहे गठबंधन को लेकर राजनीतिक गलियारों में आजकल कांग्रेस का नारा '27 साल यूपी बेहाल' चर्चा का विषय बना हुआ है। नारे पर सवाल उठना इसलिये भी तर्कसंगत हो गया है क्योंकि इन 27 सालों में मुलायम सिंह यादव या उनकी पार्टी ही सर्वाधिक करीब 15 साल सत्ता में रही। सूबे में कांग्रेस के अंतिम मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे।
तिवारी ने कांग्रेस की हार के बाद पांच दिसम्बर 1989 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। उनके बाद राज्य की बागडोर मुलायम सिंह यादव ने पांच दिसम्बर 1989 संभाली थी। वह 24 जून 1991 तक मुख्यमंत्री थे। इसके बाद पांच दिसम्बर 1993 को मुलायम सिंह यादव ने फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह तीन जून 1995 तक इस पद पर रहे। 29 अगस्त 2003 को वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 11 मई 2007 तक सूबे की बागडोर बतौर मुख्यमंत्री संभाली। इसके बाद 15 मार्च 2012 को समाजवादी पार्टी की सरकार फिर बनी और अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
इस तरह मुलायम सिंह यादव और उनकी पार्टी 27 में से सर्वाधिक करीब 15 साल सूबे की सत्ता में रही। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने '27 साल यूपी बेहाल' के नारे के साथ सितम्बर में देवरिया से दिल्ली तक की किसान यात्रा निकाली थी। यात्रा के दौरान गांधी ने भारतीय जनता पार्टी समेत गैर कांग्रेसी दलों पर जमकर हमला बोला था। राजनीतिक गलियारों में यह नारा अब चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक विश्लेषक कैलाश गौतम के अनुसार कांग्रेस को जवाब देना होगा कि उसे मुलायम सिंह यादव और उनकी पार्टी के इन 27 में से 15 सालों में क्या सब कुछ ठीक था।
यदि ठीक था तो यादव या उनकी पार्टी के शासनकाल को इसमें क्यों जोडा गया। कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रो0 रामगोपाल यादव तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दोनों पार्टियों में गठबंधन होने की बात स्वीकार कर ली है। अब सिर्फ औपचारिक घोषणा बाकी है तो सवाल उठना लाजिमी है कि कांग्रेस के '27 साल यूपी बेहाल' नारे का क्या होगा।