लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सूखा राहत को लेकर राज्य और केन्द्र सरकार के दरम्यान सियासी घमासान में अब कांग्रेस भी अपनी राहें तलाशने के लिए आगे बढ़ गई है। पार्टी के प्रान्तीय आलाकमान ने प्रदेश के सूखाग्रस्त 50 जिलों में केन्द्र और राज्य सरकारों की राहत योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए अपने विधायकों को मैदान में उतरने के निर्देश दिए हैं।
कांग्रेस विधानमण्डल दल के नेता प्रदीप माथुर ने यहां बताया कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री के निर्देश पर प्रदेश के सभी पार्टी विधायकों को प्रदेश सरकार द्वारा सूखाग्रस्त घोषित किए गए 50 जिलों में केन्द्र तथा सूबाई सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत जानने और 31 मई तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।
विधायकों से कहा गया है कि वे नौ मई से 22 मई के बीच सभी सूखाग्रस्त जिलों में जिला एवं शहर अध्यक्षों, पूर्व विधायकों तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ जाकर हालात का जायजा लें। माथुर ने आरोप लगाया कि सभी सूखाग्रस्त जिलों में जरूरतमंद लोगों को केन्द्र तथा राज्य सरकार की राहत योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है। सही निगरानी ना होने की वजह से अरबों की रकम की बंदरबांट हो रही है। सिर्फ कागजों पर धनराशि का खर्च दिखाए जाने के परिणामस्वरूप सूखाग्रस्त जिलों की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। कांग्रेस इस जमीनी हकीकत को जोर-शोर से उठाएगी।