लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को विवदित ढांचा गिराये जाने की कल 27वीं बरसी पर हिंदू संगठन शौर्य दिवस नहीं मना कर सिर्फ मंदिरों और मठों में दीप जलायेंगे। इसके अलावा मंदिरों में भजन कीर्तन कर भगवान से राम मंदिर के निर्माण का संकल्प जल्द पूरा करने के लिये प्रार्थना की जायेगी । दरअसल राष्ट्रीय सवंय सेवक संघ और अन्य हिंदू संगठन कोई भी ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होने देना चाहते जिससे दूसरे पक्ष को इस मामले में नया विवाद खड़ा करने का मौका मिले।
उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इसे हिंदुओं की जीत बताने या जश्न मनाने से समाज में तनाव फैल सकता है। यदि कोई विवाद होता है तो उच्चतम न्यायालय इसका संज्ञान भी ले सकता है । श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि 09 नवंबर को उच्चतम नयायालय ने सत्य पर मुहर लगाकर राम को टाट के अस्थायी मंदिर से मुक्त कर भव्य मंदिर में विराजमान करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। इसलिए अब ‘शौर्य दिवस का कोई औचित्य नहीं है ।
दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विरोध में आल इंडिया पर्सनल ला बोर्ड कल पुनर्विचार याचिका दायर करेगा । पुनर्विचार याचिका सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील रहे राजीव धवन ही दायर करेंगे । घवन को पहले उनके खराब सेहत का हवाला देकर हटा दिया गया था लेकिन बाद में उन्हें ही वकील रखा गया।