उत्तर प्रदेश। अयोध्या श्रीराम की नगरी अयोध्या में कण कण में राम बसते हैं, यहां तक कि पेड़ भी इससे अछूते नहीं हैं। ऐसा ही एक पेड़ अयोध्या गोरखपुर मार्ग पर तकपुरा गांव के एक खेत में है जिसकी टहनियों, छालियों और तने पर राम नाम लिखा है। इसे किसी ने पेड़ पर कुरेदा या लिख नहीं है बल्कि नाम खुद ही उग आये हैं। जैसे जैसे लोगों को इसकी जानकारी हुई लोग यहां पूजा करने लगे और ये आस्था का केंद्र बन गया। पेड़ कब उगा या लगाया गया, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
स्थानीय लोगों के अनुसार दशकों पहले पेड़ पर राम नाम लिखा देखा गया। पहले तो लोगों ने सोचा कि शायद किसी ने ऐसा कर दिया हो लेकिन जब हर तने पर राम नाम लिखा देखा गया तो लोगों को इस पर विश्वास हुआ। उसके बाद यहां रोज पूजा होने लगी। साल में एक बार यहां मेला भी लगता है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।इधर श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा है कि अब रामलला का मंदिर बनने से कोई रोक नहीं सकता है।
यह ऐतिहासिक फैसला आज आया है। रामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण को कोई ताकत रोक नहीं सकती है। उच्चतम न्यायालय के पांच एकड जमीन मुस्लिम पक्ष के फैसले पर अमल कराना सरकार का काम है। यह हार जीत का मामला नहीं है। इस फैसले ने मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया है। सत्य की जीत हुयी है और सामाजिक समरसता के लिये इसे सभी समुदायों को स्वीकार करना होगा तभी देश की तरक्की का मार्ग प्रशस्त होगा।
राममंदिर का शिलान्यास हो चुका है। अब बस शिलायें रखने की देर है। यह फैसला संतो और मार्गदर्शक मंडल की बैठक के बाद ले लिया जायेगा। फैजाबाद के सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि यह पूरे देश की जीत है। उधर बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने अयोध्या में विवादित रामजन्मभूमि मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का इस्तकबाल करते हुये कहा कि राम मंदिर निर्माण में सहयोग की दरकार पर वह सबसे पहले आगे आयेंगे। अंसारी ने कहा कि राम पर किसी का जातीय हक नहीं है। वह सबके हैं। अगर मंदिर निर्माण के लिये कोई उनसे मदद की मांग करता है तो वह उस पर जरूर विचार करेंगे।