हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में मानसून के दौरान बाढ़ की विनाशलीला में करीब 4500 हेक्टेयर उपजाऊ भूमि पर खड़ी फसल चौपट हो गयी जबकि सैकड़ों कच्चे पक्के मकान जमीदोज हो गये। बाढ़ से सवा पांच करोड़ रूपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व विनय प्रकाश श्रीवास्तव ने शनिवार को बताया कि सितम्बर में बेतवा,यमुना और केन नदी करीब एक सप्ताह तक खतरे के निशान से ऊपर बहती रही जिससे सुमेरपुर और कुरारा मौदहा ब्लाक में ज्वारा,बाजरा,उर्द,मूंग,मक्का,अरहर की फसलें जलभराव के कारण नष्ट हो गयी थी। करीब तीन हजार हेक्टेयर फसल तो हमीरपुर तहसील में नष्ट हुयी है। मौदहा और राठ कस्बों में भी फसल को भारी नुकसान पहुंचा।
उन्होने बताया कि कई दिनों तक रुक रुक कर बरसात होने के कारण सैकडो कच्चे मकान भी ध्वस्त हो गये है। कच्चे मकानों का भी सर्वे कर लिया गया है जिसमें करीब 800 घर आंशिक एवं 500 मकान पूरी तरह ध्वस्त हो चुके है। उनका भी सर्वे कर सरकार से बजट की मांग की गयी है। बाढ़ पीडितों के मवेशियों के लिये अलग से भूसा की व्यवस्था पशु चिकित्सा विभाग ने की थी जिसमें करीब 90 हजार रुपये का भूसा जानवरों के लिये वितरित किया गया है।सबसे ज्यादा क्षति सुमेरपुर व कुरारा ब्लाक में हुआ है क्योकि बेतवा व यमुना दोनो नदियां इसी ब्लाक से सट कर बहती है जिससे किनारे किनारे बसे गांवो को सबसे ज्यादा नुकसान हुया है। केन नदी राठ क्षेत्र में बहती है वहां पर आंशिक नुकसान बताया जाता है।
एडीएम ने बताया कि दैवीय आपदा राहत कोष में करीब 50 लाख रूपये पहले से पड़ा हुआ था। कई लोगों को फौरी तौर पर तुरंत राहत दे दी गयी थी बाकी लोगों को बजट आने के बाद सहायता दी जायेगी। वही जिला कृषि अधिकारी डा. सरस तिवारी का कहना है कि बाढ के 72 घंटे बाद तीन सौ किसानों ने खरीफ फसल नुकसान होने का शिकायत दर्ज करायी है। शासन के नियमानुसार 72 घंटे के बाद कोई शिकायत दर्ज नही की जाती है। सैकडो किसान बाद में फसल नुकसान होने की शिकायत दर्ज करने के लिये इधर उधर भटकते नजर आये है मगर उनको निराशा हाथ लगी है।