लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 11 विधानसभा सीटों के लिये होने वाले उपचुनाव में विपक्ष के लचर रवैये के चलते सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर ली है। आगामी 21 अक्टूबर को होने वाले चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिये प्रत्याशियों के समर्थन में भाजपा के नेता जोरशोर से प्रचार में जुटे है वहीं कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के शीर्ष नेतृत्व के चुनाव प्रचार अभियान में शिरकत न करने मुकाबला एकतरफा होने की संभावना प्रबल हो गयी है।
प्रदेश कांग्रेस में जान फूंकने की कवायद में जुटी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उपचुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लेंगी। इस बारे में पार्टी के पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी का कहना है कि पार्टी आलाकमान के नेताओं के उपचुनाव के प्रचार में हिस्सा नहीं लेना कांग्रेस की परम्परा है। इस नाते प्रियंका और राहुल गांधी यहां चुनाव प्रचार के लिये नहीं आयेंगे। बसपा प्रमुख मायावती हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में 21 अक्टूबर को होने वाले चुनाव के प्रचार में व्यस्त है।
इस दौरान उन्हे आठ चुनावी जनसभाओं को संबोधित करना है वहीं पार्टी सांसद सतीश चन्द्र मिश्रा के भी प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव न किये जाने की संभावना है। मिश्रा हरियाणा के प्रभारी होने की वजह से वहां चुनाव प्रचार में व्यस्त है। मायावती के भतीजे और राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद के भी अकेले चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लेने के आसार हैं। सपा ने अब तक पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार कार्यक्रम का खुलासा नहीं किया है।
हालांकि सूत्रों के अनुसार यादव रामपुर विधानसभा सीट की प्रत्याशी तंजीम फातिमा के पक्ष में प्रचार कर सकते हैं। सपा सांसद आजम खां की पत्नी तंजीम पहली बार यहां से चुनाव लड़ रही हैं। सपा के लिये यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुयी है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के आजम खां यहां से विजयी रहे थे हालांकि उनके लोकसभा के लिये निर्वाचित होने के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है।