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एसटीएफ ने वन्यजीव तस्कर को किया गिरफ्तार 32 किलो कैलिपी बरामद

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 17 2019 4:08PM | Updated Date: Sep 17 2019 4:08PM
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कछुओं को मारकर उनकी कैलिपी (झिल्ली) की तस्करी करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय गिरोह के एक सदस्य को प्रयागराज से गिरफ्तार कर उसके कब्जे से 32 किलो कैलपि बरामद की। एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीवन नारायण मिश्र ने मंगलवार को यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वन्य जीव अपराध नियन्त्रण ब्यूरो की पहल पर एसटीएफ ने कई साल से प्रदेश में कछुओं की तस्करी पर प्रभावी कार्रवाही की है। इसी क्रम में सोमवार शाम सूचना मिलने पर एसटीएफ की टीम ने प्रयागराज से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कछुओं की कैलिपी की तस्करी करने वाले गिरोह के एक सदस्य 24 परगना पश्चिमी बंगाल निवासी कार्तिक घोष को गिरफ्तार कर उसके पास से  32 किलो कैलिपी बरामद की।
 
उन्होंने बताया कि बरामद कैलिपी करीब 1600 कछुओं को मार कर तैयार की गयी है। उन्होंने बताया कि एसटीएफ को जानकारी मिली कि कोलकाता पश्चिमी बंगाल का रहने वाला कार्तिक घोष नामक व्यापारी इटावा, औरैया, अलीगढ़, इटावा, एटा, मैनपुरी आदि जगहों से कुछुओं की झिल्ली खरीद रहा है और ट्रेन से पश्चिमी बंगाल जाने वाला है। इस सूचना पर वन विभाग प्रयागराज की टीम को साथ लेकर एसटीएफ की टीम सोमवार शाम करीब पौने सात बजे में इलाबाद रेलवे स्टेशन पहुंची और कार्तिक घोष को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके पास से 32 किलो कछुओं की कलिपी बरामद की। मिश्र ने बताया कि पूछताछ पर कार्तिक घोष ने बताया कि कछुओं की कैलिपी वह लगभग 5,000 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदकर कोलकाता में ऊंचे दामों पर बेच देता है। वह वहा से बांग्लादेश के अलावा म्यांमार के रास्ते चीन, हांगकांग, मलेशिया आदि देशों में भेजा जाता है। 
 
पूछताछ  पर उसने बताया कि 32 किलो  कैलिपी लगभग 1600 कछुओं को मारने के बाद सुखाकर तैयार की गयी है। इस सिलसिले में मामला दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया गया है। गौरतलब है भारत में कछुओं की पाई जाने वाली 29 प्रजातियों में 15 प्रजातियां उत्तर प्रदेश में पाई जाती है। इनमें 11 प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। यह अवैध व्यापार जीवित कछुओ के माँस अथवा पालने के अलावा उनकी कैलिपी  को सुखा कर शक्तिवर्धक दवा बनाने के लिए किया जाता है। यमुना,चम्बल, गंगा, गोमती, घाघरा, गण्डक आदि नदियों, उनकी सहायक नदियों, तालाबों  आदि में दोनों प्रकार के कछुए बहुतायत में पाए जाते हैं। एसटीएफ इसके पहले अनेक तस्करों को गिरफ्तार कर कैलपि जब्त कर चुकी है। इस धंधे में अधिकांश पश्चिम बंगाल के ही लोग लिप्त हैं।
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