नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की नौकरशाही का जवाब नहीं। राज्य में हालांकि अभी चुनावी तस्वीर साफ नहीं हो पाई है, लेकिन ऊंचे पदों पर काबिज अधिकारी कोई खतरा उठाने को तैयार नहीं हैं। लखनऊ में मायावती के राज में बने पार्क औए स्मारक चमकाए जा रहे हैं। पिछले पांच सालों में अखिलेश यादव की सरकार ने इनकी सुध तक नहीं ली थी।
गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी की रैलियों में ‘बहनजी को आने दो...’ के नारे लगते हैं। राज्य में अभी छठे और सातवें चरण का मतदान बाकी है और नतीजे 11 मार्च को आएंगे, लेकिन ऐसा लगता है कि लखनऊ ने बहनजी के आने की तैयारी कर ली है।
मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए जो स्मारक और पार्क लखनऊ में बने थे, वहां अचानक ही चहल-पहल तेज हो गई है। गोमतीनगर के आंबेडकर स्मारक में दीवारों की मरम्मत का काम शुरू हो गया है। फर्श रगड़-रगड़कर चमकाए जा रहे हैं, गुलाबी पत्थरों को धोया जा रहा है, पार्कों में लगे पेड़-पौधों की कटिंग शुरू हो गई है। हालांकि इस काम में लगे लोगों का कहना है कि ये सब तो हर रोज ही होता है, लेकिन राजधानी के लाखों लोग गवाह हैं कि पांच सालों तक अखिलेश राज में किसी ने मायावती के पार्कों की खबर तक नहीं ली थी।