मुंबई। निकाय चुनावों के नतीजों के बाद महाराष्ट्र की पूरी राजनीति में हलचल मच गई है। बीएमसी चुनावों में बुरा प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस अचानक से किंगमेकर की भूमिका में है।
राज्य में अब कांग्रेस और शिवसेना के बीच बढ़ती नजदीकियों की अटकलें हैं। कांग्रेस से हाथ मिलाकर शिवसेना एक ही झटके में बीजेपी को राज्य और बीएमसी की सत्ता से दूर करने का बड़ा दांव खेल सकती है।
कांग्रेस ने भी साफ कर दिया है कि गठबंधन पर तब विचार होगा जब शिवसेना फडणवीस सरकार से कदम पीछे खींचेगी। उधर, शिवसेना नेता और परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने भी इस नए समीकरण को हवा देने वाला बयान दिया है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक बुलाई है, जिसमें सेना के प्रोपोजल के बारे में बातचीत की जाएगी। इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे, नारायण राणे, मुंबई के कांग्रेस चीफ संजय निरुपम, सांसद हुसैन दलवई और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नसीम खान और बालासाहेब थोराट शामिल होंगे।
वहीं कांग्रेस विधायक अब्दुल सतार ने कहा कि पार्टी शिवसेना को समर्थन देने के बारे में विचार करेगी। चूंकि बीजेपी हमारी सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी है, इसलिए पार्टी की राज्य यूनिट आलाकमान को एक प्रोपोजल भेजेगी, जिसमें कहा जाएगा कि वह शिवसेना को सिर्फ बीएमसी ही नहीं बल्कि राज्य के बाकी बाकी निकाय चुनावों और जिला परिषद् के चुनावों में समर्थन देगी। आपको बता दें कि गुरुवार को बीएमसी के नतीजों में किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था।
शिवसेना के खाते में 84 तो बीजेपी को 82 सीटें मिलीं। फिलहाल शिवसेना और बीजेपी निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने पक्ष में करने में जुटी हैं। दोनों ही यह बात जानती हैं कि कांग्रेस के समर्थन के बिना वह 114 के जादूई आंकड़े तक नहीं पहुंच सकते। अब तक शिवसेना को दो और बीजेपी को एक निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन मिला है। अरुण गवली की अखिल भारतीय सेना (एबीएस) ने शिवसेना का समर्थन किया है।