नई दिल्ली। नई दिल्ली सीट को पंजाबी वोटरों की बहुतायत वाली सीट माना जाता है, लेकिन यहां सरकारी कर्मचारी, व्यापारी वर्ग के लोग और अन्य वर्गों के पढ़े-लिखे वोटर भी चुनाव के नतीजों को काफी प्रभावित कर सकते हैं। इसी तरह वेस्ट दिल्ली सीट पर जाटों के अलावा पंजाबियों और पूर्वांचलियों की भूमिका को भी इस बार काफी अहम फैक्टर के रूप में देखा जा रहा है। नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व सीट है, लेकिन यहां पार्टी इस बार एससी/एसटी के साथ-साथ ओबीसी और अन्य सामान्य वर्ग के वोटरों को भी ध्यान में रखकर चल रही है।
चांदनी चौक और नॉर्थ-ईस्ट सीट पर पार्टी मुस्लिम वोटों को अहम फैक्टर मान रही है, तो वहीं ईस्ट और साउथ दिल्ली सीट पर भी जातिगत समीकरणों और पार्टी कार्यकर्ताओं के फीडबैक का विशेष ध्यान रखे जाने के संकेत पार्टी नेताओं ने दिए हैं। विकल्प के रूप में सामने आ रहे नामों में कितना दम है, इसका भी आंकलन किया जा रहा है। इसी सिलसिले में पिछले कुछ दिनों से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और चुनाव प्रभारियों की मीटिंगें पूर्व पार्षदों, विधायकों और ऐसे नेताओं के साथ चल रहीं हैं, जिनके टिकट पिछले एमसीडी चुनाव में काटे गए थे। इनके फीडबैक को पार्टी काफी अहम मानकर चल रही है। हालांकि अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ही करेंगे।