19 Apr 2024, 11:56:01 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

कौसानी के बारे में 11 जुलाई 1929 के यंग इंडिया में महात्मा गांधी ने लिखा था, मैं साश्चर्य सोचता हूं कि इन पर्वतों के दृश्यों व जलवायु से बढकर होना तो दूर रहा, बराबरी भी संसार का कोई अन्य स्थान नहीं कर सकता। हमारे देशवासी स्वास्थ्य लाभ के लिए यूरोप क्यों जाते होंगे? समुद्र तल से 1890 मीटर की ऊंचाई पर बसे कौसानी के प्राकृतिक सौंदर्य व शांत मनोरम वातावरण से प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने वर्ष 1929 में यहां 12 दिन बिताए थे और अनासक्ति योग नामक पुस्तक की रचना की थी।

अनासक्ति आश्रम
गांधी जी जिस बंगले में ठहरे थे वह आज उनकी लिखी पुस्तक के नाम पर अनासक्ति आश्रम के नाम से जाना जाता है। अब यहां पर्यटकों के ठहरने व अध्ययन की पर्याप्त व्यवस्था का संचालन गांधी स्मारक निधि द्वारा किया जाता है। हिमालय में कुछ ही ऐसे पर्यटन स्थल होंगे जो कौसानी की खूबसूरती और प्राकृतिक सुषमा का मुकाबला कर सके।


सुमित्रा नंदन पंत की जन्मस्थली
हिंदी के सुविख्यात कवि सुमित्रा नंदन पंत का जन्म कौसानी में ही हुआ था। उनकी कविताओं में प्रकृति के भिन्न-भिन्न रूपों के सहज व सरस चित्रण के ही कारण उन्हें प्रकृति का सुकुमार कवि भी कहा गया है। कौसानी बस स्टेशन से कुछ ही दूरी पर सुमित्रा नंदन पंत का पैतृक निवास है। यहीं पंत जी का बचपन बीता था। इस भवन को अब राज्य सरकार ने संग्रहालय का रूप दे दिया है। यहां पंत जी के दैनिक उपयोग की वस्तुएं, कविताओं की पांडुलिपियां, पत्र आदि रखे हुए हैं। साहित्य प्रेमी पर्यटकों को यहां पहुंचकर असीम सुख व शांति की अनुभूति होती है। अनासक्ति आश्रम से एक किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्मी आश्रम पहाड की अग्रणी संस्था है।

सरला बहन का कर्मक्षेत्र

गांधी जी की अनन्य शिष्या सरला बहन यहां रहकर आजीवन समाजसेवा में जुटी रहीं। उन्हीं की प्रेरणा से यह आश्रम स्थापित किया गया है। आश्रम में पहाड की महिलाओं की शिक्षा, जागरूकता व आर्थिक स्वावलंबन से संबंधित गतिविधियां संचालित की जाती है। घने जंगल के बीच आश्रम का एकांत मन मोह लेता है। यहां से हिमालय की हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखला का भव्य दिखाई देता है। कौसानी के दुर्गम पहाडी रास्तों को तय करने के बाद लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर ऊंचे पर्वत शिखर पर पिनाकेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। शिव के अधिकांश मंदिर जहां नदियों या जलाशय के किनारे होते हैं, पिनाकेश्वर इसका अपवाद है। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां मेला लगता है। इसके आसपास गोपाल कोट, हुरिया और बूढा पिनाकेश्वर आदि स्थल भी पर्यटकों को अपनी सुंदरता से अभिभूत कर देते हैं।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »