25 Apr 2024, 18:45:31 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

समूची सृष्टि ओंकार से ही उत्पन्न हुई है, इस सत्य से साक्षात्कार के लिए ओंकारेश्वर से श्रेष्ठ स्थल नहीं हो सकता है। प्रकृति ने स्वयं इस भूखंड पर अपनी तूलिका से ओम् उकेरा है। नर्मदा नदी के प्रवाह ने यहां एक मील लंबे और डेढ़ मील चौड़े पर्वतखंड को ओम् की आकृति प्रदान की है। मध्य प्रदेश में मांधाता पर्वत पर प्रतिष्ठित ओंकारेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिगों में एक है।

राजा मांधाता का शिव से साक्षात्कार

पुराणों के अनुसार इक्ष्वाकुवंशी राजा मांधाता ने कठिन तप के बाद शिव का साक्षात्कार किया और उनसे हमेशा के लिए इस पर्वत पर निवास की याचना की। मांधाता की इच्छापूर्ति के लिए शिव स्वयं ज्योतिर्लिग रूप में प्रकट हुए, जो दो रूपों में बंट गया। प्रणव के सदाशिव ओंकार नाम से विख्यात हुए और पार्थिव लिंग की शिवज्योति को अमलेश्वर या ममलेश्वर की संज्ञा मिली। नर्मदा के दक्षिणी तट पर ममलेश्वर और उत्तरी तट पर ओंकारेश्वर मंदिर है। तीर्थयात्रा दोनों शिवलिंगों के पूजन के बाद ही संपन्न मानी जाती है। इसीलिए दोनों को मिला कर ओंकारममलेश्वर कहा जाता है।

त्रिदेवों का आवास
इस तीर्थ के तीन भागों को त्रिदेवों का आवास मानकर ब्रह्मपुरी, विष्णुपुरी और शिवपुरी का अभिधान किया गया है। नर्मदा का उत्तरी तट शिवपुरी है तो दक्षिण तट विष्णुपुरी व दक्षिण पूर्वी भाग ब्रह्मपुरी के नाम से चर्चित है। ममलेश्वर मंदिर राजपूतकालीन शिल्पकला के विकास की पराकाष्ठा का जीवंत प्रमाण है। केंद्रीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में यहां नर्मदा के डूबक्षेत्र में पाए गए कई भग्नावशेष संरक्षित हैं।


ओंकार पर्वत की परिक्रमा
यहां की यात्रा ओंकार पर्वत की परिक्रमा के बिना संपन्न नहीं मानी जाती। उतार-चढ़ाव से भरा 7 मील का यह परिक्रमा पथ इस स्थल के गौरवशाली अतीत का गवाह है।

अवंतिका की दक्षिणी सीमा के इस क्षेत्र में की गई खुदाइयों ने इसे 700 ई.पू. प्राचीन प्रमाणित किया है। यह स्थल आजकल देशी-विदेशी साधकों की तपस्थली है। जर्मनी, इजराइल, अमेरिका, स्पेन और बेल्जियम से आए सैलानियों ने यहां स्थित कुटियों में शरण ली हुई है। परिक्रमा मार्ग के चप्पे-चप्पे पर मंदिर इस तरह बने हैं कि लोकमानस ने यहां तैंतीस करोड़ देवताओं का आवास मान लिया है।


कब जाएं
क्योंकि यह मध्य प्रदेश में है अत: यहां मौसम न तो बहुत ठंडा होता है और न ही बहुत गर्म। इसलिए यहां साल में कभी भी आया जा सकता है। वैसे सबसे उपयुक्त समय जुलाई से नवंबर के बीच होता है। जुलाई-अगस्त में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ भी होती है।

कैसे पहुंचें
मध्य प्रदेश में स्तित ओंकारेश्वर से निकटतम हवाई अड्डा इंदौर है। इंदौर से ओंकारेश्वर तक सड़क मार्ग से तय कर सकते हैं। रेलमार्ग से पहुंचने के लिए ओंकारेश्वर रोड स्टेशन है जो खंडवा मार्ग पर है और शहर से 7 किलोमीटर के फासले पर है। रेलवे स्टेशन से बसें और सवारी गाड़ियां मिल जाती है जो गंतव्य तक पहुंचा देती है।

कहां ठहरें
ओंकारेश्वर में ठहरने के लिए धर्मशालाएं और यात्री आवास उपलब्ध हैं, पर मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग का पर्यटक परिसर सर्वोत्तम स्थान है।

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