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Lifestyle

भाेपाल हैं नवाबी तहजीब का शहर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 26 2015 9:48PM | Updated Date: Jan 29 2016 11:48PM
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भोपाल ताल, बाकी सब तलैयां। भोपाल पहुंचने और दो बड़ी झीलों को देखने पर लगता है कि बात तो बिलकुल सही है। पूरा शहर दो मानवनिर्मित झीलों की बदौलत अपना अस्तित्व बनाए हुए है। ताल की कहानी बड़ी रोचक है। कहा जाता है कि राजा भोज एक बार सख्त बीमार पड़ गए। वैद्यों ने हाथ खड़े कर दिए तो एक ज्योतिषी ने कहा कि अगर राजा एक ऐसा ताल बनवाएं, जिसमें सात नदियों का पानी गिरता हो तो उनकी जान बच सकती है। राजा ने अपने मंत्रियों को ऐसी जगह ढूंढने का आदेश दिया और वह जगह वहीं मिली जहां अब भोपाल है। पर यहां कुल पांच नदियां थीं। थोड़ा और खोजने पर 15 मील दूर दो नदियां और मिलीं। उन्हें एक सुरंग के रास्ते यहां तक लाया गया और बांध बनाकर उनका पानी रोका जाने लगा। इधर ताल बनता गया उधर राजा की हालत सुधरती गई। फिर बनारस की सुबह और अवध की शाम के साथ-साथ मालवा की रात भी मशहूर हो गई।

मालवा
मालवा की रातें खास तौर से सुहानी होती हैं। इसके पानी के कारण सैकड़ों मील के इलाके में बंजर जमीन भी हरी-भरी होने लगी और उसने भोपाल सहित मालवा के मौसम को भी बदल दिया। कालांतर में यहां लोग बसने लगे। शुरू में यहां गोंड जनजाति का शासन था पर उनके नाम पर अब बस एक महल बचा है। आज का भोपाल नवाबों का भोपाल है और उसके इतिहास और वर्तमान दोनों पर ही नवाबी तहजीब का असर साफ दिखता है। औरंगजेब के अफगान गवर्नर दोस्त मोहम्मद ने भोपाल की स्थापना की थी। पर आज के शहर पर 1810 के बाद 100 साल से ज्यादा समय तक चले बेगमों के राज की छाप दिखाई देती है।


पुराना और नया भोपाल
भोपाल शहर को दो भागों में बांट सकते हैं। पुराना भोपाल और नया भोपाल। नया भोपाल तो आम मध्यवर्गीय शहर है जिसके बारे में इतना ही कह सकते हैं कि वह साफ-सुथरा है। असली शहर तो पुराना भोपाल ही है। यहां की सड़कों व गलियों में चलते हुए आपको नफीस उर्दू बोलते बूढ़े मिल जाएंगे।


कैसे पहुंचें
हवाई यात्रा: भोपाल का हवाई अड्डा पुराने शहर से 12 किमी दूर है। दिल्ली व मुंबई से यहां की नियमित उड़ानें हैं।

रेल यात्रा: दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से भोपाल के लिए सुबह शताब्दी व रात में हबीबगंज एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं। साथ ही मुंबई या दक्षिण जाने वाली अधिकतर ट्रेनें भोपाल से गुजरती हैं।

सड़क यात्रा: जो पर्यटक सड़क के रास्ते यहां पहुंचना चाहते हैं, वे दिल्ली से आगरा, ग्वालियर व गुना होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग सं. दो से भोपाल पहुंच सकते हैं। यात्रा दो दिन लंबी है और पहले दिन आपको ग्वालियर में ठहरना होगा।

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