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मानसून आते ही स्वर्ग बन जाती है, पंचमणी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 3 2015 12:11PM | Updated Date: Nov 3 2015 12:11PM
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जबलपुर। मध्‍यप्रदेश अपनी अमूल्‍य ऐतिहासिक विरासतों के लिए पहचाना जाता है। यहां अनेक ऐसी विरासत हैं जो देश में और कहीं नहीं है। जबलपुर का भेड़ाघाट, अमरकंटक का कपिलधारा और पंचमणी का डचस फॉल दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इसके अलावा इंदौर के आसपास के जंगल भी काफी दर्शनीय हैं।

इंदौर से खांडवा की ओर 25 किलोमीटर की दूरी पर तिनचा झरना है। सिमरोल गांव में स्‍थित इस झरने में 300 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है। इसी गांव से दो किलोमीटर की दूरी पर 'कुंडा' झरना है।

बारिश के मौसम में इन इलाकों का नजारा और भी दर्शनीय होता है। बादलों से घिरे आसमान के नीचे हरे-भरे पेड़ों और हरी घास को देखकर प्रकृति की असली खूबसूरती का अहसास होता है। आंखों को सूकून देने वाले ये नजारे इंदौर वन रेंज के तिलौर उप रेंज के पहाड़ी इलाके में देखे जा सकते हैं।

पहाड़ियों के बीच 500 हेक्‍टेयर में फैले इस घने जंगल में सागौन पेड़ों की हरियाली को देखकर किसी जादूई जगह का अहसास होता है। इस जगह की खूबसूरती ऐसी है जो किसी भी इंसान को यहां दोबारा आने को मजबूर कर देगी।
मानसून आते ही
श्रीन झरना कानद नदी पर स्थित है। इंदौर से यहां जाने के लिए कंक्रीट की सड़क बनी है। साल के तीन महीने अप्रैल, मई और जून को छोड़कर यह जगह अपने शबाब पर होता है। यहां के नदी के बहाव क्षेत्र 'कुंडा' में पानी को देखने का नजारा अद्भूत होता है।

इस जगह पर इंदौर और आसपास की जगहों से काफी युवा आते हैं। हालांकि यहां नदी में नहाने के दौरान हादसे भी काफी होते हैं। नहाने की पर्याप्‍त सुविधा नहीं होने के चलते कई युवाओं की जानें जा चुकी है। यहां हर साल करीब पांच से छह लोग हताहत होते हैं।

दुर्घटनाओं से सबक लेते हुए मध्‍यप्रदेश के पर्यावरण पर्यटन विकास बोर्ड (एमपीईडीबी) ने इस साल तिनचा में बुनियादी सुविधाओं के इंतजाम किए हैं ताकि यहां आने वाले पर्यटक यहां से नया अनुभव अपने साथ ले जाएं।

तिनचा की पहड़ियों के बीच एक छोटी गुफा हैं, जिसे भिलाट महाराज का निवास स्‍थान माना जाता है। इस गुफा में आसपास के इलाकों में रहने वाले अक्‍सर पूजा के लिए यहां आते हैं। नवरात्र में यहां भक्‍तों की खासी भीड़ जुटती है।

कचरोट पंचायत के सचिव परमानंद कुशवाहा ने बताया कि तिनचा गांव के अंतर्गत आने वाले इन दर्शनीय स्‍थानों का लोगों में काफी हद तक धार्मिक और आध्‍यात्‍मिक महत्‍व है। हर साल यहां अश्‍विन माह में पड़ने वाली अमावस्‍या के दिन यहां मेला लगता है, जिसमें काफी लोग आते हैं।
 

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