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कोर्ट के भीतर और बाहर सानिया के संघर्षो की दास्तां है उनकी आत्मकथा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 19 2016 1:26PM | Updated Date: Jul 19 2016 1:26PM
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नई दिल्ली। महज 29 बरस की उम्र में कई उतार चढावों से जूझते हुए टेनिस के शिखर तक पहुंची ग्रैंडस्लैम विजेता सानिया मिर्जा ने अपनी आत्मकथा ‘ऐस अगेंस्ट आड्स’ में कोर्ट के भीतर और बाहर के इन संघर्षों से रूबरू कराया है।

मार्तिना हिंगिस के साथ लगातार 41 मैच जीते
सोलह बरस में विम्बलडन जूनियर युगल खिताब जीतकर स्टार बनी सानिया ने अपनी युगल जोड़ीदार मार्तिना हिंगिस के साथ लगातार 41 मैच जीते। उसने युगल टेनिस में नंबर एक बनने तक के अपने सफर में आई कठिनाइयों को इस किताब में कलमबद्ध किया है।

भारतीय खेलों का चेहरा बदलने में सानिया का अहम योगदान
पिता इमरान मिर्जा की मदद से लिखी सानिया की इस आत्मकथा में प्रस्तावना हिंगिस ने लिखी है जिसने सानिया को खतरनाक फोरहैंड वाली बेहतरीन खिलाड़ी बताया है। भारत के एक और टेनिस स्टार और मिश्रित युगल में उनके जोड़ीदार रहे महेश भूपति ने प्राक्कथन लिखा है जिनका मानना है कि भारतीय खेलों का चेहरा बदलने में सानिया का अहम योगदान है।

हमेशा चर्चाओं में रही निजी जिंदगी
किताब में बताया गया है कि कैसे सानिया की निजी जिंदगी हमेशा चर्चाओं में रही। चाहे उनके खिलाफ फतवा हो, उनके आॅपरेशन, पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी, शादी से पहले सेक्स पर उनकी टिप्पणी हो।

कभी टी-शर्ट तो कभी नथ पर चर्चा
सानिया ने लिखा- विम्बलडन में मेरी टी-शर्ट पर चर्चा हुई तो अमेरिकी ओपन में नथ पर। मैं जो कुछ भी पहनती, उसे बगावत का प्रतीक मान लिया जाता। शायद विदेशी मीडिया ने एक युवा भारतीय लड़की को पहले इस मुकाम पर नहीं देखा था या मैं एक पारंपरिक भारतीय लड़की के अमेरिकियों के मानदंड पर खरी नहीं उतरती थी।

भारत में काफी लोकप्रिय हो गई सानिया की नथ
सोनिया ने लिखा- मेरी नथ (नोज रिंग) जल्दी ही भारत में काफी लोकप्रिय हो गई और बाजार में ‘सानिया नोज रिंग ’ के नाम से बिकने लगी। युवा लड़कियों में इसका क्रेज काफी था। सानिया ने बताया कि कैसे उसकी बचपन की एक दोस्त विम्बलडन में रोजर फेडरर या येलेना यांकोविच से बात करने के बावजूद उन्हें पहचान नहीं सकी चूंकि उसकी टेनिस में कोई रूचि नहीं थी।

सानिया का सपना
सानिया ने बताया कि कैसे उसने सेरेना विलियम्स या मारिया शारापोवा का कोर्ट पर सामना किया और अपनी आदर्श स्टेफी ग्राॅफ के सामने उसकी बोलती बंद हो गई। उसने यह भी कहा कि खेल में भारत का रिकाॅर्ड बेहतर करना उसका सपना है। उसने कहा, यह निराशाजनक नहीं है कि लिएंडर , महेश और मेरे अलावा किसी ने टेनिस के इतिहास में भारत के लिए ग्रैंडस्लैम नहीं जीता।

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