25 Apr 2024, 13:26:44 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

ग्रह रत्न धारण करने का विशेष नियम है। लाल किताब कहता है जिस ग्रह का रत्न धारण करना हो उस ग्रह से सम्बन्धित धातु की अंगूठी में रत्न धारण करना चाहिए। इस संदर्भ में यह मान्यता है कि धातु और रत्न समान ग्रह से सम्बन्धित हैं तो परिणाम विशेष अनुकूल होता है। अगर कुण्डली में सूर्य को जगाना हो बलशाली बनाना हो तो सोने की अंगूठी में माणिक्य धारण करना चाहिए। सोना सूर्य का धातु है और माणिक्य उसका रत्न अत: दोनों मिलकर परिणाम अनुकूल बनाते हैं। इसी प्रकार सभी ग्रहों का अपना रत्न और धातु है। ग्रहों के मंदे फल से बचने के लिए जब भी अंगूठी बना रहे हों इस बात का ख्याल रखना चाहिए।

 

चन्द्रमा का रत्न है मोती और धातु है चांदी। मंगल का रत्न है मूंगा और धातु है तांबा। बुध का रत्न है पन्ना और धातु है सोना इसी प्रकार से गुरू का रत्न पुखराज है और धातु है सोना। शुक्र का रत्न है हीरा और धातु है चांदी। शनि का रत्न नीलम और धातु है लोहा। राहु का प्रिय रत्न है गोमेद और धातु है अष्टधातु। केतु का रत्न है लहसुनियां जिसे सोना अथवा तांबा किसी भी अंगूठी में धारण किया जा सकता है। केतु के नेक फल के लिए लहसुनिया के बदले दो रंगा पत्थर भी धारण किया जा सकता है।

 

सावधानियां

रत्न शुभ फल देने की शक्ति रखता है तो अशुभ फल देने की भी इसमें ताकत है। रत्नों के नाकारात्मक फल का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए रत्नों को धारण करने से पहले कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। लाल किताब के नियमानुसार परस्पर मुकाबले वाले ग्रहों का रत्न धारण नहीं करना चाहिए।

 

जिन दो ग्रहों के बीच मुकाबला हो उनमें एक ग्रह का रत्न ही धारण करना चाहिए अन्यथा शुभ परिणाम की जगह अशुभ परिणाम प्राप्त होने लगता है। जो ग्रह कुण्डली में धर्मी हो उस ग्रह का रत्न धारण किया जा सकता है लेकिन अगर कोई ग्रह धर्मी ग्रह के मुकाबले का ग्रह हो तो मुकाबले के ग्रह का रत्न धर्मी ग्रह के रत्न के साथ नहीं धारण करना चाहिए। अगर जन्मदिन और जन्म समय का ग्रह एक हो तो उस ग्रह का रत्न जरूर पहनना चाहिए यह हमेशा लाभ देता है।

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