नीलम शनि के शुभ फल देने में सहायक होता है, यह अक्सर लोहे के व्यवसायी, प्रशासनिक व्यक्ति, राजनेता भी पहने देखे जा सकते है। इसके बारे में यह कहावत है कि यह रत्न तुरन्त फलदायी होता है व इसका शुभ या अशुभ परिणाम शीध्र देने में सक्षम हैं। यह रत्न बगैर किसी जानकार की सलाह के नहीं पहनना चाहिए। माणिक अनामिका में पहना जाता है, यह सूर्य का रत्न है। बर्मा का माणिक अधिक महंगा होता है, वैसे आजकल कई नकली माणिक भी बर्मा का कहकर बेच देते हैं।
बर्मा का माणिक अनार के दाने के समान होता है। इसके पहनने से प्रशासनिक, प्रभाव में वृद्धि व शत्रुओं को परास्त करने में भी सक्षम है। इसे भी नेता राजनीति से संबंध रखने वाले, उच्च पदाधिकारी, न्यायाधीश, कलेक्टर आदि की उँगली में देखा जा सकता हैं। कनिष्का उँगली में पन्ना पहना जाता है। यह बौधिक गुणों को बढ़ाता है, जिसे बिजनेसमैन ज्यादा पहनते हैं। इसको पहनने से पत्रकारिता, सेल्समैन, प्रकाशन, दिमागी कार्य करने वाले, कलाकार, वाकपटु व्यक्ति भी पहनते हैं।
रत्नों में मुख्यत- नौ ही रत्न ज्यादा पहने जाते हैं। सूर्य के लिए माणिक, चन्द्र के लिए मोती, मंगल के लिए मूंगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद, केतु के लिए लहसुनियाँ। पुखराज तर्जनी में ही क्यों पहनने की सलाह देते हैं? झ्र क्योंकि कोई भी व्यक्ति धमकी, निर्देश आदि देता है तो इसी उँगली से देता है। यही उंगली लड़ाई का भी कारण बनती है, तो होशियार करने के लिए भी काम आती है। इसलिए गुरु का रत्न पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। पुखराज पहनने से उस जातक में गंभीरता आती है। साथ ही वह अन्याय के प्रति सजग हो जाता है। यह धर्म-कर्म में भी आस्था जगाता है। गुरु का प्रभाव बढ़ाने और उसके अशुभ प्रभाव को खत्म करने के लिए पुखराज पहना जाता है।
अधिकांश व्यक्ति पुखराज पहनते हैं इनमें प्रमुख राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी, न्यायाधीश, मंत्री, राजनायक, अभिनेता आदि की उँगली में देखा जा सकता है। पुखराज के साथ माणिक पहना जाए तो अति शुभ फल भी मिल सकते हैं। मध्यमा में नीलम धारण करते है व इसके अलावा कोई भी रत्न नहीं पहनना चाहिए अन्यथा शुभ परिणाम नहीं मिलते। इस उँगली पर ही आकर भाग्य रेखा खत्म होती है जिनकी भाग्य रेखा न हो वे किसी जानकार से सलाह लेकर नीलम पहन कर लाभ पा सकते हैं।