रत्नों के बाह्म रूप को आभामंडित करने में रंगों का बहुत बड़ा योगदान है। अगर रंग-रूप में रत्न द्युतिमान न हों तो उनकी कोई कीसम नहीं रह जाती। कई प्रकार के रत्न असली-मूल्यवान रत्नों से मिलते-जुलते हैं, परन्तु रंग में जरा-सा भेद होने से उनकी असलियत खुल जाती है।
रत्नों में रंग का प्रभाव रंगहनी डालने पर नजर आता है। रंगों को सोख लेने तथा उसे प्रतिबिम्बित करने की क्षमता पर ही रत्न का रंग आधारित होता है। सफेद रंग इन्द्रधनुषी रंगों से बना है। जब यह रत्न पर पड़ता है तो स्पेक्ट्रम के कुछ रंग रत्न द्वारा सोख लिए जाते हैं।
जो रंग रत्न द्वारा नहीं सोखा जाता, वह या तो रत्न से निकल जाता है या प्रतिबिम्बित होता है। प्रतिबिमित रंग ही रत्न को रंगीन आभा देता है। कुछ रत्न केवल एक ही रंग के होते हैं, जैसे-मैलाकाइट सदैव हरा होता है। यदि कोई रत्न लाल नजर आता है तो उससे केवल लाल रंग ही प्रतिबिम्बित होता है, जबकि अन्य सभी रंग रत्न द्वारा आत्मसात्कर लिए जाते हैं।